प्यार में सवाल नहीं होते

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जनकसिंह झाला
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यह दुनिया बड़ी गोल है । गोल होने के बावजूद यहाँ पर कई सारे झोल है।" यहाँ पर हर दिन किसी ना किसी गली, या नुक्कड में प्यार का इजहार होता है..इन्कार होता है इकरार और इंतजार होता है। आखिर यही चीजें ही तो प्यार को हमेशा जोड़कर रखती है। यहाँ पर पल में कोई जीवन भर के लिए आप के साथ जुड़ जाता है जबकि दूसरे ही पल आप से नाता तोड़ चला जाता है। आड़ी-टेढ़ी गलियों और रास्तों में। यहाँ प्यार को छोड़ने और पकड़ने का तमाशा आए दिन होता रहता है।

इस तमाशे के मुख्य किरदार प्यार करने वाले दो शख्स है और देखने वाली सारी दुनिया हैं। यहाँ सच्चे प्रेमी को कभी-कभी बेवफाई का झटका भी लगता है, कभी फटका भी लगता है, कभी धक्का भी लगता है तो कभी मुक्का भी लगता है। कभी-कभी यही झटके और फटके जीवन को नरक बना देते हैं।

जब होश आता है तो मालूम पड़ता है कि हम घूम-फिर कर वहीं आ गए है जहाँ से हमने शुरुआत की थी। बस साथ देने वाला वो हमसफर नहीं है वह तो कब से आप को चूना लगाकर आगे निकल गया है।

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लेकिन फिर भी उसकी महक आप को हर पल महसूस होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि वह अब आपके सामने प्रत्यक्ष तौर पर मौजूद नहीं है उसकी छवि अब आप को चाँद-तारों में दिखाई देती है। सागर की लहरों में और वीणा के स्वरों में उसकी आवाज सुनाई देती है। खिलते हुए फूलों में, गीत गाते हुए पँछियों में हर जगह बस आप उसको ही पाते हैं।

आखिर इसी का नाम ही तो प्यार है । सच्चा प्रेम वही है जिसमें आपका पूरी तरह डूब जाने का मन करता है। जहाँ पर दिल अपना होने के बावजूद भी दर्द पराए सहे जाते हैं। यहाँ कोई सवाल किया नहीं जाता क्योंकि प्रेम है तो प्रश्न नहीं है। प्रेम सदा ही सब कुछ खोने को तैयार होता है लेकिन यदि प्रेम नहीं है तो फिर प्रश्न ही प्रश्न है।