नक्सलवादी हिंसा का सिलसिला यों 1967 से चल रहा है। करीब एक दशक तक पश्चिम बंगाल और आसपास के क्षेत्रों में उसका प्रभाव बढ़ा और सिद्धार्थ शंकर रे की बेहद कड़ी कार्रवाई ने इसे कुछ ठंडा कर दिया था, लेकिन पिछले 12-15 वर्षों में यह आग कई राज्यों में फैल गई।
झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में जिस तरह का आतंक नक्सलियों ने फैलाया है, उतना जम्मू-कश्मीर या अफगानिस्तान के इलाकों में भी नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकार को युद्ध की तरह सीधी कार्रवाई से संकोच क्यों करना चाहिए?