हिन्दू धर्म : जानिए कितनी हैं स्मृतियां

श्रुतिस्तु वेदो विज्ञेयो धर्मशास्त्रं तु वै स्मृति:। (मनुस्मृति, 2.10)
 
वेद ही एकमा‍त्र हिन्दुओं के धर्मग्रंथ हैं। वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। महाभारत को पंचमवेद माना गया है। वाल्मिकी रामायण, वेदव्यास कृत महाभारत और 18 पुराणों को इतिहास ग्रंथों की श्रेणी में रखा गया है। सूत्र, आगम, तंत्र और स्मृतियां वेदों के तत्व ज्ञान और नियमों की परंपरा से व्याख्या करते हैं। ये सभी स्मृति ग्रंथों के अंतर्गत हैं। वेद को श्रुति और अन्य ग्रंथों को स्मृति की संज्ञा दी गई है। स्मृतियों को धर्मशास्त्र भी कहा जाता है। प्रमुख रूप से 18 स्मृतियां मानी गई है।
कितनी है स्मृतियां? : मनु ने अपने को छोड़कर छ: नाम लिखे हैं-अत्रि, उतथ्य के पुत्र, भृगु, वसिष्ठ, वैखानस (या विखनस) एवं शौनक। पराशर ने खुद को छोड़कर 19 नाम गिनाए हैं। पराशर ने बृहस्पति, यम एवं व्यास को छोड़ दिया है किन्तु कश्यप, गार्ग्य एवं प्रचेता के नाम सम्मिलित किए हैं।
 
वासिष्ठ ने केवल पांच नाम गिनाए हैं- गौतम, प्रजापति, मनु, यम एवं हारीत। गौतम ऋषि ने मनु को छोड़कर किसी अन्य स्मृतिकार का नाम नहीं लिया है। आपस्तम्ब ने 10 नाम गिनाए हैं- जिसमें एक कुणिक, पुष्करसादि केवल व्यक्ति-नाम हैं। इसी तरह बौधायन ने स्वयं को छोड़कर 7 स्मृतिकारों के नाम लिए हैं- औपजंघनि, कात्य, काश्यप, गौतम, प्रजापति, मौद्गल्य एवं हारीत। याज्ञवल्क्य ने बौधायन का नाम छोड़कर एक स्थान पर 20 के नाम लिए हैं जिनमें वे स्वयं, शंख तथा लिखित दो पृथक्-पृथक् व्यक्ति के रूप में दर्ज हैं। 
 
कुमारिल के तन्त्रवार्तिक में 18 धर्म-संहिताओं के नाम आए हैं। चतुविंशतिमत नामक ग्रन्थ में 24 धर्नशास्त्रकारों के नाम उल्लिखित हैं। पैठीनसि ने 36 स्मृतियों के नाम गिनाए हैं। वृद्ध-गौतमस्मृति में 57 धर्मशास्त्रों के नाम आये हैं। इसी तरह वीरमित्रोदय में उद्धृत प्रयोगपारिजात ने 18 मुख्य स्मृतियों, 18 उपस्मृतियों तथा 21 अन्य स्मृतिकारों के नाम गिनाए हैं।...यहां प्रस्तुत है कुछ प्रमुख स्मृतिकारों के नाम।
1.मनु स्मृति,
2.व्यास स्मृति,
3.लघु विष्णु स्मृति,
4.आपस्तम्ब स्मृति,
5.वसिष्ठ स्मृति,
6.पाराशर स्मृति,
7.वृहत्पाराशर स्मृति,
8.अत्रि स्मृति,
9.लघुशंख स्मृति,
10.विश्वामित्र स्मृति,
11.यम स्मृति,
12.लघु स्मृति,
13.बृहद्यम स्मृति,
14.लघुशातातप स्मृति,
15.वृद्ध शातातप स्मृति,
16.शातातप स्मृति,
17.वृद्ध गौतम स्मृति,
18.बृहस्पति स्मृति,
19.याज्ञवलक्य स्मृति और
20.बृहद्योगि याज्ञवल्क्य स्मृति।
 
प्रमुख स्मृति ग्रंथ : मनु, याज्ञवल्क्य, पराशर, आपस्तंब, नारद, अत्रि, विष्णु, हरीत, औषनासी, अंगिरा, उशनस, यम, कात्यायन, उमव्रत, बृहस्पति, व्यास, दक्ष, गौतम, वशिष्ट, संवर्त, शंख, गार्गेय, देवल, नारद, लिखित, शरतातय और शातातप स्मृति।
 
18 मुख्य स्मृतिकार हैं- मनु, बृहस्पति, दक्ष, गौतम, यम, अंगिरा, योगीश्वर, प्रचेता, शातातप, पराशर, संवर्त, उशना, शंख, लिखित, अत्रि, विष्णु, आपस्तम्ब, हारीत।
 
*उपस्मृतियों के लेखक हैं- नारद, पुलहौ, गार्ग्य, पुलस्त्य, शौनक एवं कतु:।
 
*अन्य 21 स्मृतिकार हैं:- वसिष्ठो नारदश्चैव सुमन्तुश्च पितामह:। विष्णु: कार्ष्णजिनि: सत्यव्रतो गार्ग्यश्च देवल:॥ जमदग्निर्भरद्वाज: पुलस्त्य; पुलह: ॠतु:। आत्रेयश्च गवेयश्च मरीचिर्वत्स एव च॥ पारस्करश्चर्ष्यशृङो वैजवापस्तथैव च। इत्येते स्मृतिकर्तार एकविंशतिरोरिता:॥ वीरमित्रोदय, परिभाषा ॥

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