वैवस्वत मनु के 10 पुत्र- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे। इसमें इक्ष्वाकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ। इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि, अरिहंत और भगवान हुए हैं। इक्ष्वाकु कुल में ही आगे चलकर प्रभु श्रीराम हुए। अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगों का शासन रहा।
अयोध्या के राजा नाभिराज के पुत्र ऋषभ अपने पिता की मृत्यु के बाद राज सिंहासन पर बैठे और उन्होंने कृषि, शिल्प, असि (सैन्य शक्ति), मसि (परिश्रम), वाणिज्य और विद्या इन 6 आजीविका के साधनों की विशेष रूप से व्यवस्था की तथा देश व नगरों एवं वर्ण व जातियों आदि का सुविभाजन किया। इनके दो पुत्र भरत और बाहुबली तथा दो पुत्रियां ब्राह्मी और सुंदरी थीं जिन्हें उन्होंने समस्त कलाएं व विद्याएं सिखाईं। इनके पुत्र भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत रखा गया था।
अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था इसलिए यह जैन धर्म के लिए बहुत ही पवित्र भूमि है।