एक अन्य कथा के अनुसार डोम नामक एक राजा ने ऐसा किया था तो उसे शाप मिला था। तभी से इस वंश के राजा या कहें कि जाति श्मशान के कार्य ही करती है। यहां वे संस्कारों के साथ कर वसूली करते हैं। शिव श्मशान घाट में धूनी रमाकर, भभूत लगाकर, नागों का माला पहनकर रहते थे एवं तुरही उनका वाद्य यंत्र था। इस प्रकार डोम भी श्मशान घाट में मुर्दे जलाने का काम करते हैं तथा तुरही बांसुरी बजाने का काम करते हैं। डोम जाति के देवता शिव, कालभैरव, काली, क्षेत्रज्ञ, यम आदि हैं।