लिंगायत संप्रदाय की साध्वी अक्का महादेव

शनिवार, 4 जनवरी 2020 (17:16 IST)
-आर. हरिशंकर
 
अक्का महादेवी लिंगायत संप्रदाय में एक प्रसिद्ध महिला कवयत्रि थीं। उन्होंने मन्त्रोगोप्य और योगांगत्रिवधि के रूप में लिखे अपने लेखन को कन्नड़ में प्रसिद्ध बनाया। कन्नड़ साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें बसवन्ना, सिद्धराम और अल्लामप्रभु जैसे प्रसिद्ध संतों द्वारा सराहना मिली। वह भगवान शिव की बहुत बड़ी भ‍क्त थीं।
 
 
जीवनी
अक्का महादेवी का जन्म कर्नाटक के एक छोटे से गांव में हुआ था। छोटी उम्र में ही उन्होंने भगवान शिव की निष्ठापूर्वक पूजा करने के लिए अपने परिवार को छोड़ दिया था। उन्होंने भगवान मल्लिकार्जुन के दर्शन करने के लिए श्रीशैलम की यात्रा की। वह दो अन्य कवियों अल्लामा और बसवा से मिलीं और भगवान शिव की आध्यात्मिकता और भक्ति के बारे में चर्चा की। अपने जीवन के अंत में, वह श्रीशैलम में रहते हुए भगवान शिव की पूजा और भक्ति करते हुए ही उनकी मृत्यु हो गई।
 
 
महत्वपूर्ण
वह भगवान शिव की एक निष्ठावान भक्त थीं और कहती थीं कि उसका मन, शरीर और आत्मा भगवान शिव को समर्पित है। उन्होंने कभी भी एक विलासितापूर्ण जीवन का आनंद नहीं लिया, अपना ध्यान पूरी तरह से भगवान शिव पर केंद्रित किया, संपूर्ण पूरे क्षेत्र में भ्रमण किया और भगवान शिव की स्तुति में गाया। अक्का महादेवी के सम्मान में, कर्नाटक की सड़कों और विश्वविद्यालयों का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
 
 
निष्कर्ष 
अक्का महा देवी भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं और उन्हें अपने जीवन में सब कुछ मानती थीं। वह कहती है कि भगवान शिव से लगाव स्थायी है, और अन्य सांसारिक वस्तु के लिए लगाव योग्य साबित नहीं होता है। हमें उनके पदचिन्हों का पालन करना और अपना पूरा ध्यान भगवान शिव की ओर केंद्रित करना चाहिए। आइए हम इस महान दिव्य मां की पूजा करें और वे हमारे पापों से हमें मुक्त करें और हमें एक धन्य जीवन दें।

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