2. कुछ लोग नवनाथ के नाम इस प्रकार बताते हैं : आदिनाथ, अचल अचंभानाथ, संतोषनाथ, सत्यानाथ, उदयनाथ, गजबलिनाथ, चौरंगीनाथ, मत्स्येंद्रनाथ और गौरखनाथ। महार्णव तंत्र में कहा गया है कि नवनाथ ही 'नाथ' संप्रदाय के मूल प्रवर्तक हैं। नवनाथों की सूची अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग मिलती है। यथाक्रम- मत्स्येन्द्रनाथ, गोरक्षनाथ, गहनिनाथ, जालंधरनाथ, कृष्णपाद, भर्तृहरिनाथ, रेवणनाथ, नागनाथ, चर्पटनाथ।
1.लूहिपा, 2.लोल्लप, 3.विरूपा, 4.डोम्भीपा, 5.शबरीपा, 6.सरहपा, 7.कंकालीपा, 8.मीनपा, 9.गोरक्षपा, 10.चोरंगीपा, 11.वीणापा, 12.शांतिपा, 13.तंतिपा, 14.चमरिपा, 15.खंड्पा, 16.नागार्जुन, 17.कराहपा, 18.कर्णरिया, 19.थगनपा, 20.नारोपा, 21.शलिपा, 22.तिलोपा, 23.छत्रपा, 24.भद्रपा, 25.दोखंधिपा, 26.अजोगिपा, 27.कालपा, 28.घोम्भिपा, 29.कंकणपा, 30.कमरिपा, 31.डेंगिपा, 32.भदेपा, 33.तंघेपा, 34.कुकरिपा, 35.कुसूलिपा, 36.धर्मपा, 37.महीपा, 38.अचिंतिपा, 39.भलहपा, 40.नलिनपा, 41.भुसुकपा, 42.इंद्रभूति, 43.मेकोपा, 44.कुड़ालिया, 45.कमरिपा, 46.जालंधरपा, 47.राहुलपा, 48.धर्मरिया, 49.धोकरिया, 50.मेदिनीपा, 51.पंकजपा, 52.घटापा, 53.जोगीपा, 54.चेलुकपा, 55.गुंडरिया, 56.लुचिकपा, 57.निर्गुणपा, 58.जयानंत, 59.चर्पटीपा, 60.चंपकपा, 61.भिखनपा, 62.भलिपा, 63.कुमरिया, 64.जबरिया, 65.मणिभद्रा, 66.मेखला, 67.कनखलपा, 68.कलकलपा, 69.कंतलिया, 70.धहुलिपा, 71.उधलिपा, 72.कपालपा, 73.किलपा, 74.सागरपा, 75.सर्वभक्षपा, 76.नागोबोधिपा, 77.दारिकपा, 78.पुतलिपा, 79.पनहपा, 80.कोकालिपा, 81.अनंगपा, 82.लक्ष्मीकरा, 83.समुदपा और 84.भलिपा।
नाथ संप्रदाय : नाथ सम्प्रदाय गुरु गोरखनाथ से भी पुराना है। भगवान शंकर को 'भोलेनाथ' और 'आदिनाथ' भी कहा जाता है। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम आदिश भी है। इस आदिश शब्द से ही आदेश शब्द बना है। भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। भगवान शंकर के बाद इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय को आदिगुरु माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय के बाद सिद्ध संत गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने 'नाथ' परंपरा को फिर से संगठित करके पुन: उसकी धारा अबाध गति से प्रवाहित करने का कार्य किया। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के बाद उनके शिष्य गुरु गोरखनाथ ने 'नाथ' परंपरा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। उनके लाखों शिष्यों में हजारों उनके जैसे ही सिद्ध होते थे।
इसके अलावा 'नाथ' साधुओं में प्रमुख नाम है- भर्तृहरि नाथ, नागनाथ, चर्पटनाथ, रेवणनाथ, कनीफनाथ, जालंधरनाथ, कृष्णपाद, बालक गहिनीनाथ योगी, गोगादेव, रामदेव, सांईंनाथ आदि।
12 गोरखपंथ : गोरखनाथ के संप्रदाय की मुख्य 12 शाखाएं- 1. भुज के कंठरनाथ, 2. पागलनाथ, 3. रावल, 4. पंख या पंक, 5. वन, 6. गोपाल या राम, 7. चांदनाथ कपिलानी, 8. हेठनाथ, 9. आई पंथ, 10. वेराग पंथ, 11. जैपुर के पावनाथ और 12. घजनाथ।