भजन का प्रचलन हिन्दू धर्म में नारद मुनि और हनुमानजी के काल से ही रहा है। हिन्दू धर्म में आजकल भजन को फिल्मी गीत या कव्वाली की तर्ज पर गाने का प्रचलन बढ़ गया है जोकि बहुत ही गलत है। गलत के प्रचलन को रोकने का कर्तव्य सभी का होता है। गलत का साथ देने वाला भी अपराधी होता है। बहुत से लोग अब कीर्तन में भी नहीं जाते, क्योंकि कीर्तन का स्वरूप बिगाड़कर फिल्मी कर दिया गया है। कीर्तन या भजन क्यों किया जाता था इसका महत्व भी समाप्त हो गया है।
हिन्दू प्रार्थना का एक तरीका है भजन। हिन्दू प्रार्थना को संध्यावंदन कहते हैं। सूर्य और तारों से रहित दिन-रात की संधि को संध्या वंदन कहते हैं। संध्योपासना के 5 प्रकार हैं- 1.प्रार्थना, 2.ध्यान, 3.कीर्तन, 4.यज्ञ और 5.पूजा-आरती।
कीर्तन : ईश्वर, भगवान, देवता या गुरु के प्रति स्वयं के समर्पण या भक्ति के भाव को व्यक्त करने का एक शांति और संगीतमय तरीका है कीर्तन। इसे ही भजन कहते हैं। भजन करने से शांति मिलती है। भजन करने के भी नियम हैं। गीतों की तर्ज पर निर्मित भजन, भजन नहीं होते। शास्त्रीय संगीत अनुसार किए गए भजन ही भजन होते हैं। सामवेद में शास्त्रीय संगीत का उल्लेख मिलता है। नवधा भक्ति में से एक है कीर्तन।
मंदिर में कीर्तन सामूहिक रूप से किसी विशेष अवसर पर ही किया जाता है। कीर्तन के प्रवर्तक देवर्षि नारद हैं। कीर्तन के माध्यम से ही प्रह्लाद, अजामिल आदि ने परम पद प्राप्त किया था। मीराबाई, नरसी मेहता, तुकाराम आदि संत भी इसी परंपरा के अनुयायी थे।
कीर्तन के दो प्रकार हैं- देशज और शास्त्रीय। देशज अर्थात लोक संगीत परंपरा से उपजा कीर्तन जिसे 'हीड़' भी कहा जाता है। शास्त्रीय अर्थात जिसमें रागों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। संतों के दोहे और भजनकारों के पदों को भजन में गाया जाता है।
हरिनाम संकीर्तन सिद्ध औषधि : जब चावल पक जाता है, तब बंगाल में कहते हैं कि चावल सिद्ध हो गया। वैसे ही जब साधक पक जाता है तो उसको सिद्ध कहते हैं। संसार के सभी द्वंद्वों को, सभी रोगों को मिटाने में 'हरिनाम' सिद्ध औषधि है।
खैर, आओ जानते हैं कि अगले पन्ने पर ऐसे कौन से कुछ प्रसिद्ध भजन और गीत जो आज भी तीज-त्योहार पर सुने जाते हैं। यहां ऐसे भी गीत बताएं जाएंगे जो शुद्ध रूप में हरिनाम संकिर्तन ही माने जाते हैं अर्थात जो किसी फिल्मी गाने की तर्ज पर नहीं होकर भजन रूप में है।
भक्ति भजन :
*मय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो: अनुप जलोटा
*जग में सुंदर है दो नाम चाहे श्रीकृष्ण कहो या राम : अनुप जलोटा
*कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े : अनुप जलोटा
*मेरा मन में राम मेरे तन में राम, रोम रोम में राम रे : अनुप जलोटा
*ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन : अनुप जलोटा
*श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि: सुरेश वाडेकर
*सुबह सुबह ले शिव का नाम शिव आएंगे तेरे काम: हरिहरन
*ॐ नम: शिवाय, ॐ नम: शिवाय हर हर बोले नम: शिवाय: हरिहरन *श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय : हरिहरन *श्रीकृष्ण मुरारी जी आंख बसे मन भाये: जगजित सिंह (सभी भजन) *श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय : रविन्द्र जैन
*बाल समय रवि भक्ष लिये तब तीनों ही लोक अंधियारों : हरि ओम शरण