1. शनिदेव को सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करें: सुबह स्नान के बाद किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, नीले फूल जैसे अपराजिता, काले आक और शमी के पत्ते अर्पित करें। इसके बाद शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यह शनिदेव को सबसे प्रिय उपाय है। इससे शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। शनिदेव प्रसन्न होकर आपको कर्मों का शुभ फल प्रदान करते हैं, जिससे आर्थिक, शारीरिक और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं।
2. पीपल के पेड़ की पूजा और दीपक जलाना: शनि जयंती को सायंकाल या सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल के 7 या 11 दीपक जलाएं। इसके बाद पीपल के पेड़ की 7 या 11 बार परिक्रमा करें। पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास तथा यहां शनिदेव भी निवास माना जाता हैं। यह उपाय शनि के अशुभप्रभावों को शांत करता है, पितरों को शांति देता है और सभी प्रकार के दुर्भाग्य को दूर कर सौभाग्य लाता है।
4. शनि मंत्र, चालीसा, स्तोत्र पाठ: इस दिन शनि मंत्रों तथा स्तोत्र जाप से मन को शांति मिलती है तथा नकारात्मक विचार दूर होने के साथ तनाव, अज्ञात भय और समस्यासे मुक्ति मिलती है। इस दिन मंत्र- 'ॐ शं शनैश्चराय नमः', 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' का 108 बार कम से कम जाप करने से शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5. हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ: चूंकि शनि जयंती मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए हनुमान जी की पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ श्रद्धापूर्वक करें। हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं, शनिदेव उन्हें कष्ट नहीं देते। हनुमान जी की कृपा से भय, रोग और बाधाओं से मुक्ति मिलती है, और जीवन में साहस व आत्मविश्वास आता है। यह शनि के प्रकोप को शांत करने का अचूक उपाय है।