शरद पूर्णिमा पर दूध या दूध से बनी खीर को बनाकर छत पर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृतमयी किरणों का आगमन होता है जिसके कारण यह दूध या खीर अमृत समान बन जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस दौरान चंद्र से जुड़ी हर वस्तु जागृत हो जाती है। दूध भी चंद्र से जुड़ा होने ने कारण अमृत समान बन जाता है जिसकी खीर बनाकर उसे चंद्रप्रकाश में रखा जाता है। बाद में दूध को पीने या खीर को खाने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। आओ जानते हैं कि कौनसे 5 लाभ मिलते हैं।
4. बढ़ती है शारीरिक शक्ति : शरद पूर्णिमा से मौसम में परिवर्तन की शुरूआत होती है। इस तिथि के बाद से वातावरण में ठंडक बढ़ने लगती है। शीत ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इन्हीं चीजों से ठंड में शक्ति मिलती है।
5. बढ़ती है रोगप्रतिरोधक क्षमता : खीर में दूध, चावल, सूखे मेवे आदि पौष्टिक चीजें डाली डाती हैं, जो कि शरीर के लिए फायदेमंद होती हैं। इन चीजों की वजह से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। यहीं खीर जब पूर्णिमा को बनाकर खाई जाए तो उसका गुण दोगुना हो जाता है।