शव से शिव होने की यात्रा ही जड़ से चैतन्य होने की यात्रा है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी को मनाया जाने वाला यह पर्व 'शिवरात्रि' के नाम से जाना जाता है। इस दिन भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था। इस दिन शिव मंत्र जप-हवन-अभिषेक हवन का बड़ा महत्व है। यदि मंदिर में पूजन इत्यादि करें तो ठीक अन्यथा घर पर भी पूजन कार्य किया जा सकता है।
शिवलिंग कई प्रकार के उपयोग में लाए जाते हैं हर शिवलिंग का फल अलग-अलग है।
1. पार्थिव शिवलिंग- हर कार्य सिद्धि के लिए।
4. जौ या चावल या आटे के शिवलिंग- दाम्पत्य सुख, संतान प्राप्ति के लिए।
5. दही से बने शिवलिंग- ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए।
6. पीतल, कांसी के शिवलिंग- मोक्ष प्राप्ति के लिए।
7. सीसा इत्यादि के शिवलिंग- शत्रु संहार के लिए।