श्राद्ध में कुछ वस्तुओं का विशेष महत्व है तथा कुछ का निषेध है। महत्वपूर्ण वस्तुओं में चांदी के बर्तन, कुश, गौ, काला तिल हैं। कुश तथा काला तिल भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न माने गए हैं तथा चांदी भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न माने गए हैं। महुआ तथा पलाश के पत्र अत्यंत पवित्र माने गए हैं।
तुलसी के प्रयोग से पितृ अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
पितरों का वर्ण रजत समान धवल तथा उज्ज्वल होता है इसलिए उनके कर्म में श्वेत तथा हल्की गंध के पुष्पों का प्रयोग ठीक माना जाता है।
श्राद्ध में निषिद्ध दंतधावन, ताम्बूल सेवन, तैल मर्दन, उपवास, स्त्री संभोग, औषध ग्रहण तामसिक माना जाता है। पीतल तथा कांसी के पात्र शुद्ध माने गए हैं। लौह पात्र अशुद्ध माने गए हैं। गंधों में खस, श्रीखंड, कपूर सहित सफेद चंदन पवित्र तता सौम्य माने गए हैं, बाकी निषिद्ध हैं।