जब पांडवों ने कारण पूछा तो उन्होंने बता दिया मैं किसकी पूजा करूं ? अर्जुन ने कहा मां ! तुम पूजा की तैयारी करो ,मैं तुम्हारे लिए ऐसा हाथी लाता हूँ जो धरती के किसी कोने में नहीं मिलेगा... अर्जुन इन्द्र की अप्सरा के माध्यम से इंद्र के पास गया। और निवेदन कियाकि मुझे आपका ऐरावत चाहिए... और अपनी माता के पूजन हेतु वह ऐरावत को ले आया। माता ने सप्रेम पूजन किया। सभी ने सुना कि कुन्ती के यहाँ तो स्वयं इंद्र का एरावत हाथी आया है तो सभी कुन्ती के महलों कि ओर दौड पड़ी और सभी ने पूजन किया। इस तरह महाभारत काल में गजलक्ष्मी व्रत कुन्ती ने किया था।