महालय अर्थात पितृ पक्ष प्रारंभ हो चुका है। हिन्दू परंपरा में पितृ पक्ष आने पर अपने पितृगणों की तृप्ति हेतु श्राद्ध किया जाता है। इसके अंतर्गत तर्पण, पिंड दान, ब्राह्मण भोजन आदि का विधान है। श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व होता है।
शास्त्रानुसार ब्राह्मणों के मुख द्वारा ही देवता ’हव्य’ एवं पितर ’कव्य’ ग्रहण करते हैं। लेकिन श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण भोजन के भी विशेष नियम होते हैं। श्राद्ध भोक्ता ब्राह्मणों को इनका अनुपालन करना आवश्यक होता है।
आइए जानते हैं कि शास्त्रानुसार श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने वाले ब्राह्मणों को किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
1. श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण को संध्या करना आवश्यक है। श्राद्ध भोज करने वाला ब्राह्मण श्रोत्रिय होना चाहिए जो गायत्री का नित्य जप करता हो।
2. श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण को श्राद्ध में भोजन करते समय मौन रहकर भोजन करना चाहिए, आवश्यकतानुसार केवल हाथ का संकेत करना चाहिए।
3. श्राद्ध भोज करते समय ब्राह्मण को भोजन की निंदा या प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
4. श्राद्ध भोज करने वाले ब्राह्मण से भोजन के विषय में अर्थात् 'कैसा है' यह प्रश्न नहीं करना चाहिए।
5. श्राद्ध भोक्ता ब्राह्मण को पुर्नभोजन अर्थात् एक ही दिन दो या तीन स्थानों पर श्राद्ध भोज नहीं करना चाहिए।
6. श्राद्ध भोक्ता ब्राह्मण को श्राद्ध भोज वाले दिन दान नहीं देना चाहिए।
7. श्राद्ध भोक्ता ब्राह्मण को श्राद्ध भोज वाले दिन मैथुन नहीं करना चाहिए।
8. श्राद्ध भोक्ता ब्राह्मण को केवल चांदी, कांसे या पलाश के पत्तों पर परोसा गया भोजन ही करना चाहिए। श्राद्ध में लोहे व मिट्टी के पात्रों का सर्वथा निषेध बताया गया है।