अभी श्राद्ध पक्ष चल रहा है। पितृ पर्व के इन दिनों में लगभग सभी के घरों में पितृ तर्पण करके उनको याद किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में पितरों और देवताओं के लिए कई तरह के भोग बनाए जाते हैं। लेकिन सबसे पहले उन भोगों को अग्नि को समर्पित किया जाता है। कंडे की धूप जलाकर उस पर यह भोजन अर्पित किया जाता है। फिर जो चावल के लड्डू बनाए जाते हैं वह किसी बहते जल में अर्पित किए जाते हैं। हालांकि अग्नि को समर्पित किए जाने के पीछे एक कथा है।
महाभारत के अनुसार, अग्नि में हवन करने के बाद जो पितरों के निमित्त पिंडदान दिया जाता है, उसे ब्रह्मराक्षस भी दूषित नहीं करते। श्राद्ध में अग्निदेव को उपस्थित देखकर राक्षस वहां से भाग जाते हैं। सबसे पहले पिता को, उनके बाद दादा को उसके बाद परदादा को पिंड देना चाहिए। यही श्राद्ध की विधि है।