Pitru Shradh Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में पंचमी तिथि का श्राद्ध उन दिवंगत आत्माओं के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार किसी भी महीने की पंचमी तिथि को हुई हो। इस तिथि का श्राद्ध अविवाहित मृत सदस्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे 'कुंवारा पंचमी' भी कहा जाता है। इस दिन नियमों और विधिपूर्वक श्राद्ध करना पितरों को संतुष्ट करता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। ALSO READ: Sarvapitri amavasya 2025: वर्ष 2025 में श्राद्ध पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या कब है?
श्राद्ध पक्ष 2025 पंचमी तिथि श्राद्ध का शुभ मुहूर्त:
पंचमी तिथि का प्रारम्भ- सितंबर 2025 को दोपहर 12:45 बजे से
पंचमी तिथि की समाप्ति- 12 सितंबर 2025 को सुबह 09:58 पर।
पंचमी श्राद्ध गुरुवार, 11 सितंबर 2025 को
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:10 से 01:00 तक।
कुतुप मुहूर्त- दोपहर 12:10 से 01:00 बजे तक।
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 01:00 से 01:49 तक।
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
अपराह्न काल- दोपहर 01:49 से 04:17 बजे तक।
अवधि- 02 घंटे 28 मिनट्स
पंचमी श्राद्ध की विधि:
1. सुबह की तैयारी: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। श्राद्ध करने वाले स्थान को गाय के गोबर से लीपकर और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
2. भोजन बनाना: महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए सात्विक भोजन बनाएं। भोजन में खीर को अवश्य शामिल करें।
3. तर्पण और पिंडदान: कुतुप काल में पितरों का ध्यान करते हुए तर्पण और पिंडदान करें। तर्पण के लिए जल में तिल, जौ, और सफेद फूल मिलाएं। चावल और जौ के आटे से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें।
4. ब्राह्मण भोजन: विधिपूर्वक ब्राह्मणों को आदर के साथ भोजन कराएं। भोजन के बाद उन्हें वस्त्र, बर्तन और दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा करें।
5. अन्य को भोजन: गाय, कुत्ते, कौवे और अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास अलग निकालें।
• श्राद्ध पक्ष के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित है।
• इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करने से बचें।
• श्राद्ध कर्म हमेशा अपनी निजी भूमि या किसी तीर्थ स्थान पर ही करें।
• भोजन बनाने या खाते समय उसकी न तो प्रशंसा करें और न ही बुराई करें।
• श्राद्ध के भोजन के लिए लोहे के बर्तनों का उपयोग न करें, इसके बजाय कांसे या चांदी के बर्तन इस्तेमाल करें।
• पितरों के प्रति पूरी श्रद्धा और मन की पवित्रता बनाए रखें।
• श्राद्ध शांत और एकाग्रचित्त होकर करें, क्रोध, शोर-शराबे से बचें।
• आपको बता दें कि जिन पितरों का देहावसान पंचमी तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। यदि तिथि स्मरण नहीं है, तो अमावस्या तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध किया जा सकता है।
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