Guru Pushya Yoga Today: 18 सितंबर को अद्भुत संयोग, पितरों की आत्मशांति और मुक्ति के लिए गुरु पुष्य योग में करें ये 5 खास उपाय

WD Feature Desk

गुरुवार, 18 सितम्बर 2025 (12:12 IST)
Guru Pushya Yoga 18 September 2025 Ke Upay: ज्योतिष शास्त्र में गुरु पुष्य योग को एक अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग माना जाता है, जो इस बार 18 सितंबर 2025 को बन रहा है। इस दिन का खास महत्व इसलिए है क्योंकि यह योग पितृ पक्ष के दौरान पड़ रहा है, जिससे इसकी शुभता कई गुना बढ़ जाती है।ALSO READ: Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में त्रयोदशी तिथि के श्राद्ध का महत्व, विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां
 
आइए जानते हैं कि यह संयोग क्यों इतना खास है और इसका पितृ पक्ष से क्या संबंध है।
 
गुरु पुष्य योग क्या है: गुरु पुष्य योग तब बनता है जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है। पुष्य नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में सबसे शुभ और 'नक्षत्रों का राजा' माना गया है। पुष्य का अर्थ है 'पोषण करने वाला', जिसका संबंध वृद्धि, समृद्धि और शुभता से है। वहीं, गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति को समर्पित है, जो ज्ञान, धन और सौभाग्य के कारक ग्रह हैं। इन दोनों का संयोग एक ऐसा समय बनाता है, जिसमें किए गए हर शुभ कार्य का फल कई गुना बढ़ जाता है।
 
पितृ पक्ष से इसका क्या संबंध है? : पितृ पक्ष वह 15 दिनों की अवधि है जिसमें हम अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करके उन्हें याद करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह समय पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए समर्पित होता है।
 
जब गुरु पुष्य योग जैसा अत्यंत शुभ संयोग पितृ पक्ष के दौरान आता है, तो यह पितरों को प्रसन्न करने के लिए एक असाधारण अवसर बन जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितरों के लिए किए गए हर कार्य का सकारात्मक प्रभाव बढ़ जाता है। पुष्य नक्षत्र की 'पोषण' करने वाली ऊर्जा श्राद्ध और तर्पण के कार्यों को अधिक शक्तिशाली बनाती है, जिससे पितरों को अक्षय तृप्ति मिलती है।ALSO READ: Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में द्वादशी तिथि के श्राद्ध का महत्व, विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां
 
18 सितंबर को क्या करें? :गुरु पुष्य योग और पितृ पक्ष के इस अद्भुत संयोग का लाभ उठाने के लिए आप निम्नलिखित कार्य/ उपाय कर सकते हैं:
 
1. पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण: यदि आपके पितरों की श्राद्ध तिथि इस दिन पड़ रही है तो विधि-विधान से श्राद्ध और तर्पण करें। अगर तिथि नहीं भी है तो भी आप इस दिन तर्पण कर सकते हैं।
 
2. पीपल के पेड़ की पूजा: पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और उसकी सात बार परिक्रमा करें।
 
3. दान-पुण्य: इस दिन दान का विशेष महत्व है। किसी गरीब, जरूरतमंद या ब्राह्मण को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दान करें। ऐसा करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
 
4. मंत्र जाप: अपने पितरों की शांति के लिए गायत्री मंत्र या 'ॐ पितृभ्य: नमः' मंत्र का जाप करें।
 
5. खरीदारी: हालांकि पितृ पक्ष में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, लेकिन गुरु पुष्य योग के दिन आप सोने, चांदी, वाहन या नई संपत्ति जैसी मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं।
 
कुल मिलाकर, 18 सितंबर का दिन एक ऐसा दुर्लभ संयोग है जब आप एक ही समय में अपनी भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति दोनों के लिए प्रयास कर सकते हैं, साथ ही अपने पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं।
 
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