शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव के अनेक नाम है। जिसमें से 108 नामों का विशेष महत्व है। यहां अर्थ सहित नामों को प्रस्तुत किया जा रहा है।
1-शिव - कल्याण स्वरूप
2-महेश्वर - माया के अधीश्वर
3-शम्भू - आनंद स्वरूप वाले
4-पिनाकी - पिनाक धनुष धारण करने वाले
5-शशिशेखर - सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
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6-वामदेव - अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले 7-विरूपाक्ष - विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं) 8-कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले 9-नीललोहित - नीले और लाल रंग वाले 10-शंकर - सबका कल्याण करने वाले
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11-शूलपाणी - हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले 12-खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले 13-विष्णुवल्लभ - भगवान विष्णु के अति प्रिय 14-शिपिविष्ट - सितुहा में प्रवेश करने वाले 15-अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति 16-श्रीकण्ठ - सुंदर कण्ठ वाले 17-भक्तवत्सल - भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले 18-भव - संसार के रूप में प्रकट होने वाले 19-शर्व - कष्टों को नष्ट करने वाले 20-त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
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21-शितिकण्ठ - सफेद कण्ठ वाले 22-शिवाप्रिय - पार्वती के प्रिय 23-उग्र - अत्यंत उग्र रूप वाले 24-कपाली - कपाल धारण करने वाले 25-कामारी - कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले 26-सुरसूदन - अंधक दैत्य को मारने वाले 27-गंगाधर - गंगा जी को धारण करने वाले 28-ललाटाक्ष - ललाट में आंख वाले 29-महाकाल - कालों के भी काल 30-कृपानिधि - करूणा की खान
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31-भीम - भयंकर रूप वाले 32-परशुहस्त - हाथ में फरसा धारण करने वाले 33-मृगपाणी - हाथ में हिरण धारण करने वाले 34-जटाधर - जटा रखने वाले 35-कैलाशवासी - कैलाश के निवासी 36-कवची - कवच धारण करने वाले 37-कठोर - अत्यंत मजबूत देह वाले 38-त्रिपुरांतक - त्रिपुरासुर को मारने वाले 39-वृषांक - बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले 40-वृषभारूढ़ - बैल की सवारी वाले
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41-भस्मोद्धूलितविग्रह - सारे शरीर में भस्म लगाने वाले 42-सामप्रिय - सामगान से प्रेम करने वाले 43-स्वरमयी - सातों स्वरों में निवास करने वाले 44-त्रयीमूर्ति - वेदरूपी विग्रह करने वाले 45-अनीश्वर - जो स्वयं ही सबके स्वामी है 46-सर्वज्ञ - सब कुछ जानने वाले 47-परमात्मा - सब आत्माओं में सर्वोच्च 48-सोमसूर्याग्निलोचन - चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले 49-हवि - आहूति रूपी द्रव्य वाले 50-यज्ञमय - यज्ञस्वरूप वाले
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51-सोम - उमा के सहित रूप वाले 52-पंचवक्त्र - पांच मुख वाले 53-सदाशिव - नित्य कल्याण रूप वाल 54-विश्वेश्वर- सारे विश्व के ईश्वर 55-वीरभद्र - वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले 56-गणनाथ - गणों के स्वामी 57-प्रजापति - प्रजाओं का पालन करने वाले 58-हिरण्यरेता - स्वर्ण तेज वाले 59-दुर्धुर्ष - किसी से नहीं दबने वाले 60-गिरीश - पर्वतों के स्वामी 61-गिरिश्वर - कैलाश पर्वत पर सोने वाले 62-अनघ - पापरहित 63-भुजंगभूषण - सांपों के आभूषण वाले 64-भर्ग - पापों को भूंज देने वाले 65-गिरिधन्वा - मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले 66-गिरिप्रिय - पर्वत प्रेमी 67-कृत्तिवासा - गजचर्म पहनने वाले 68-पुराराति - पुरों का नाश करने वाले 69-भगवान् - सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न 70-प्रमथाधिप - प्रमथगणों के अधिपति
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71-मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाले 72-सूक्ष्मतनु - सूक्ष्म शरीर वाले 73-जगद्व्यापी- जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले 74-जगद्गुरू - जगत् के गुरू 75-व्योमकेश - आकाश रूपी बाल वाले 76-महासेनजनक - कार्तिकेय के पिता 77-चारुविक्रम - सुन्दर पराक्रम वाले 78-रूद्र - भयानक 79-भूतपति - भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी 80-स्थाणु - स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
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81-अहिर्बुध्न्य - कुण्डलिनी को धारण करने वाले 82-दिगम्बर - नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले 83-अष्टमूर्ति - आठ रूप वाले 84-अनेकात्मा - अनेक रूप धारण करने वाले 85-सात्त्विक- सत्व गुण वाले 86-शुद्धविग्रह - शुद्धमूर्ति वाले 87-शाश्वत - नित्य रहने वाले 88-खण्डपरशु - टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले 89-अज - जन्म रहित
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90-पाशविमोचन - बंधन से छुड़ाने वाले 91-मृड - सुखस्वरूप वाले 92-पशुपति - पशुओं के स्वामी 93-देव - स्वयं प्रकाश रूप 94-महादेव - देवों के भी देव 95-अव्यय - खर्च होने पर भी न घटने वाले 96-हरि - विष्णुस्वरूप 97-पूषदन्तभित् - पूषा के दांत उखाड़ने वाले 98-अव्यग्र - कभी भी व्यथित न होने वाले 99-दक्षाध्वरहर - दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले 100-हर - पापों व तापों को हरने वाले
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101-भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले 102-अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले 103-सहस्राक्ष - हजार आंखों वाले 104-सहस्रपाद - हजार पैरों वाले 105-अपवर्गप्रद - कैवल्य मोक्ष देने वाले 106-अनंत - देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित 107-तारक - सबको तारने वाले 108-परमेश्वर - परम ईश्वर