मंगला गौरी व्रत रखने की विधि और पूजा का शुभ मुहूर्त

WD Feature Desk
सोमवार, 15 जुलाई 2024 (06:02 IST)
Mangala Gauri Vrat : श्रावण मास में सावन के सोमवार की तरह की मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मंगला गौरी व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है। अखंड सुहाग और संतान की रक्षा तथा संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए भी यह व्रत बहुत महत्व रखता है। यह व्रत करने से दांपत्य जीवन की समस्या दूर होकर घर में चल रहे कलह तथा समस्त कष्टों से मुक्ति देता हैं।ALSO READ: श्रावण मास में नहीं करना चाहिए भूलकर भी ये 5 काम, पछताना पड़ेगा
 
हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार 22 जुलाई को श्रावण मास का प्रथम सोमवार रहेगा। इसके बाद 23 जुलाई को मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाएगा। सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है, जो कि पार्वती जी का ही नाम है। इस बार श्रावण मास में कुल 4 मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं। जहां सोमवार भगवान शिव का दिन है वहीं मंगलवार मां पार्वती का दिन माना जाता है। अत: श्रावण के मंगलवार को शिवजी माता गौरी, हनुमानजी, मंगल देव और कार्तिकेय का पूजन करने का विशेष महत्व है।
 
पूजा के शुभ मुहूर्त : 
ब्रह्म मुहूर्त: प्रत: 04:15 से 04:56 तक।
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 04:36 से 05:38 तक।
अमृत काल : सुबह 10:47 से 12:15 तक।
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:00 से 12:55 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:44 से 03:39 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:17 से 07:38 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 07:17 से 08:19 तक।
निशिता मुहूर्त : रात्रि 12:07 से 12:48 तक।
द्विपुष्कर योग : प्रात: 05:38 से 10:23 तक।
 
मंगला गौरी और मंगलवार का संबंध : देवी मंगला आदिशक्ति गौरी का ही मंगल स्वरूप है यानी इस स्वरूप में गौरी माता अपने भक्तों का मंगल ही मंगल करती हैं। माता गौरी का यह मंगलकारी स्वरूप सिंदूरी आभा लिए हुए तथा इसका संबंध मंगल ग्रह और महिलाओं के अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति तथा संतान की रक्षा से है। देवी मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं। यह माता का 8वां स्वरूप है। इन्हें अष्टमी की देवी भी कहा जाता है। दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है।ALSO READ: श्रावण मास में नागपंचमी का त्योहार कब मनाया जाएगा, क्या हैं शुभ मुहूर्त?
 
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