श्रावण मास वर्षा ऋतु का महीना है। इसी माह में श्रावण सोमवार, मंगला गौरी व्रत, हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी, रक्षाबंधन आदि खास त्योहार आते हैं।
पौराणिक जानकारी के अनुसार इसी माह में समुद्र मंथन भी हुआ था जिससे निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी।
जब शिव का कंठ विष के प्रभाव नीला पड़ गया तब इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। इसीलिए श्रावण माह में भोलेनाथ को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस माह में शिव के रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है। इस रुद्राभिषेक में शिवलिंग को गंगा जल, जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शकर और गन्ने के रस आदि से स्नान कराया जाता है। रुद्राभिषेक के बाद बेलपत्र, दूब, शमीपत्र, नीलकमल, आक, मदार आदि अर्पित करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं तथा शिव की पूजा के साथ शिव परिवार के सदस्यों का पूजन करने से शिव अपने भक्त पर प्रसन्न होकर उन्हें धन-सुख, संपत्ति-वैभव तथा स्वस्थ रहने का आशीष देते हैं।