Sawan 4th Last Somwar 2022 Date: श्रावण मास का अंतिम सोमवार 8 अगस्त 2022 को है और इसके बाद 11 अगस्त पूर्णिमा के दिन श्रावण मास का अंतिम दिन रहेगा। सावन माह के अंतिम सोमवार को बहुत ही शुभ महायोग संयोग बन रहे हैं और इस दिन यदि आप शिवजी का पूजन करते हैं तो महापुण्य मिलेगा। पूजन के साथ आप मात्र एक काम जरूर करें।
1. एकादशी : इस दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है जिसे पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यानी इस दिन व्रत रखने का दोगुना फल मिलेगा और शिवजी के साथ विष्णुजी का आशीर्वाद भी मिलेगा।
2. रवि योग : इस दिन रवि योग भी रहेगा। यह योग सुबह 05 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक रहेगा।
3. इन्द्र योग : इस दिन इंद्र योग सुबह 06:55 तक रहेगा।
4. वैधृति योग : इस दिन वैधृति योग सुबह 06:55 से दूसरे दिन सुबह 03:24 तक रहेगा।
5. विशेष ग्रह योग : इस दिन मंगल अपनी राशि मेष में, गुरु अपनी राशि मीन में और शनि अपनी राशि मकर में मौजूद रहेंगे। तीनों ही ग्रह स्वयं की राशि में विराजमान रहने से यह शुभ फल प्रदान करने वाला दिन रहेगा।
1. अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:18 से दोपहर 01:10 तक।
2. विजयी मुहूर्त : दोपहर 02:53 से 03:44 तक।
3. गोधुली मुहूर्त : शाम 06:58 से 07:22 तक।
एकादशी तिथि : आरंभ 7 अगस्त 2022 रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से और समाप्त 8 अगस्त 2022, रात्रि 9:00 बजे।
मात्र एक कार्य करें : सबसे पहले व्रत करने का संकल्प लें। फिर सावन के अंतिम सोमवार को प्रात:काल या प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में गंगाजल या गंगाजल मिला पानी का एक लोटा लें और घर से बगैर जूते-चप्पल पहनें शिव मंदिर ॐ नम: शिवाय का जप करते हुए पैदल जाएं। मंदिर जाकर शिवजी पर जल अर्पित करें और भगवान शिव साष्टांग प्रणाम करें। महिला हैं तो साष्टांग प्रणाम न करते हुए नमस्कार करें। इसके बाद वहीं पर खड़े होकर 108 बार शिवजी के मंत्र का जप करें। वहीं पर शिवजी का पंचामृत अभिषक करें और षोडषोपचार पूजन करें।
ध्यान रखें कि व्रत वाले दिन दिन में फल ग्रहण करें और रात्रि को जल या ज्यूस ग्रहण करें। इसके साथ ही शिवजी की तीन बार पूजा करें। प्रात:, संध्या और रात्रि। तीनों बार शिवजी के मंत्र का 108 बार जप करें। अगले दिन मंगलवार को पहले दान करें और फिर व्रत की समाप्ति करें। आपकी जो भी मनोकामना होगी वह पूर्ण हो जाएगी।
शिव पूजा की विधि :
*शिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
*शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
*उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
*फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
*इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
*इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
*पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
*पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें।
*शिव पूजा के बाद शिवरात्रि व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
*व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
*दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
*संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।