1. सिंदूर या कुमकुम अक्सर महिलाएं देवी-देवताओं को सिंदूर या कुमकुम अर्पित करती हैं, लेकिन शिवलिंग पर इसे चढ़ाना वर्जित माना गया है। सिंदूर सुहाग का प्रतीक है और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए इसे धारण करती हैं। भगवान शिव संहारक और वैरागी स्वरूप में हैं, इसलिए उन्हें सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता। इसके बजाय, शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाना शुभ माना जाता है।
2. तुलसी के पत्ते तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु को यह अति प्रिय है। हालांकि, शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते अर्पित नहीं किए जाते। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि भगवान शिव ने जालंधर नामक असुर का वध किया था, जिसकी पत्नी वृंदा (जो तुलसी का ही एक रूप थीं) भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। इसी कारण तुलसी को शिव पूजा में वर्जित माना गया है।
3. केतकी का फूल केतकी का फूल दिखने में भले ही सुंदर हो, लेकिन इसे भी शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच कौन श्रेष्ठ है, इस बात पर विवाद हुआ। तब एक विशालकाय शिवलिंग प्रकट हुआ और आकाशवाणी हुई कि जो इसके आदि और अंत को खोज लेगा, वही श्रेष्ठ होगा। ब्रह्माजी ने झूठ कहा कि उन्होंने शिवलिंग का ऊपरी सिरा देख लिया है और इस झूठ में केतकी के फूल ने उनकी गवाही दी थी। भगवान शिव को यह बात ज्ञात होते ही, उन्होंने केतकी के फूल को अपनी पूजा से वंचित कर दिया।
4. टूटे हुए चावल (अक्षत) चावल को अक्षत कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'जो खंडित न हो'। पूजा में हमेशा साबुत और अखंडित चावल ही अर्पित किए जाते हैं, क्योंकि ये पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक हैं। शिवलिंग पर कभी भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाने चाहिए। केवल अक्षत ही अर्पित करें।
5. शंख से जल: भगवान शिव पर शंख से जल चढ़ाना भी वर्जित है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था और शंखचूड़ का ही रूप शंख था। इसलिए भगवान शिव को शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता।
6. टूटे हुए बेलपत्र : बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, लेकिन इसे अर्पित करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए। शिवलिंग पर कभी भी टूटे हुए या खंडित बेलपत्र नहीं चढ़ाने चाहिए। बेलपत्र हमेशा तीन पत्तियों वाला, साबुत और स्वच्छ होना चाहिए। कटा-फटा बेलपत्र अर्पित करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।