16 अगस्त 2021,सोमवार,को श्रावण मास का चौथा सोमवार बहुत खास है.... क्योंकि इस दिन अष्टमी तिथि(व्रत का पूर्ण फल दिलाने वाली ),अनुराधा नक्षत्र(शुभ फल देने वाला),सूर्य की सिंह संक्रांति का विशेष संयोग है।सिध्दियां प्राप्त करने की दृष्टि से यह दिन अति महत्वपूर्ण है।
श्रावण माह को बहुत ही पवित्र माना जाता है, इस माह के सोमवार का विशेष महत्व है।ऐसा माना जाता है, समुद्र मंथन के समय भी श्रावण माह था,समुद्र से निकलने वाले भयंकर विष "कालकूट" के कारण संपूर्ण वातावरण विषैला होने लगा,कोई भी इस विष से मुक्ति नही दिला पा रहा था, तब भगवान शंकर ने लोगों के कल्याण के लिए विष अपने कंठ में रोक लिया।यही कारण है कि भगवान शंकर जी को नीलकंठ महादेव के नाम से भी जाना जाता है, कंठ में विष रोकने के कारण भगवान शंकर अति व्याकुलता में आ गए, उनकी व्याकुलता को समाप्त करने के लिए देवताओं द्वारा उन पर शीतल जल की धारा छोड़ने पर भी उनकी व्याकुलता समाप्त नहीं हुई,तब चंद्र देव ने स्वयं को उनके मस्तक पर धारण करने का निवेदन किया। चंद्र देव का एक नामसोम है और वे सोमवार के स्वामी हैं...इसीलिए सोमवार भोलेनाथ को प्रिय है....
क्योंकि भगवान शंकर ने जैसे ही चंद्रदेव को अपने शीश पर धारण किया,उन्हें चंद्रदेव की शीतलता के प्रभाव से ही पूर्ण आनंद की प्राप्ति हुई,इससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने चंद्रमा को वरदान दिया जो भी मनुष्य सोमवार विशेषकर श्रावण मास के सोमवार को नित्य जल मुझे अर्पण करेगा उसे मेरी कृपा अनुकम्पा के साथ चंद्रदेव की भी अनुकम्पा प्राप्त होगी। अतः श्रावण मास के चौथे सोमवार को 12 बेल पत्र पर सफेद चन्दन से प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का नाम लिख कर प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का उच्चारण के साथ किसी भी शिवलिंग पर जल के साथ अर्पित करने पर वही फल प्राप्त होगा जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर जल अर्पण करने से प्राप्त होता है।
चौथा सोमवार संयोग: 16 अगस्त को श्रावण मास का तीसरा सोमवार है। इस दिन अनुराधा नक्षत्र, ब्रह्म योग, वरियान और मानस नाम का औदायिक योग है। इस दिन के व्रत से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।
पूजा का शुभ समय
प्रातः 5.40 से 7.20,9.20 से 10.45 अमृत,शुभ के चौघड़िया में।
अपराह्न 3.45 से सांय 7.15 तक लाभ,अमृत के चौघड़िया में।