इस बार शिव हैं सिर्फ श्मशान में, नहीं होंगे 16 सोमवार व्रत, जानिए राज
सुहागन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए व कुंआरी कन्याएं इछित वर प्राप्ति के लिए 16 सोमवार का व्रत करती हैं। 16 सोमवार का व्रत हमारी अलग-अलग मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए भी किया जाता है। यह भक्त की मंशा पर निर्भर करता है कि वे भगवान शिव से क्या चाहते हैं, जैसे सौभाग्य वृद्धि, धनलक्ष्मी वृद्धि, सम्मान वृद्धि, कुल वृद्धि आदि। पार्वती पति भोलेनाथ, भोलेशंकर, कालों के काल महाकाल को व्रत से मनाया जाता है।
लेकिन जिस उद्देश्य से आप 16 सोमवार का व्रत करने जा रहे हैं, क्या वह पूर्ण होगा? इसके लिए श्रावण मास में भगवान शिव का निवास देखा जाता है। यानी भगवान शिव कहां विराजमान हैं? भगवान शिव के श्रावण मास में अलग-अलग निवास होते हैं। उसी के अनुसार व्रत का सुफल मिलता है। शिव के निवास हैं : श्मशान, सभा, पार्वतीजी के साथ अथवा नंदीजी पर सवारी... श्रावण मास में शिव का निवास देखने का ज्योतिष तरीका इस प्रकार है।
अर्थात ज्योतिष गणनानुसार तिथि को दुगनी करके उसमें 5 को छोड़ दें, फिर 7 के भाग से शेष जो अंक बचे उसके आधार पर शिव निवास ज्ञात करें। 1 आने पर जानिए कि भोलेनाथ कैलाश पर निवास कर रहे हैं, 2 में वे गौरी के साथ हैं, 3 में वृषभ पर विराजमान हैं, 4 में सभा में स्थित हैं, 5 में भोजन कर रहे हैं, 6 में क्रीड़ा में हैं, शून्य में श्मशान में निवास कर रहे हैं।
अगर शिव जी कैलाश पर है और आप व्रत कर रहे हैं तो दु:ख की प्राप्ति होगी। गौरी के साथ हैं तो शुभ फल रहेगा। वृषभ पर विराजमान हैं तो लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। सभा में हैं तो कुल की वृद्धि होगी। भोजन कर रहे हैं या क्रीड़ा में हैं तो संताप होगा, श्मशान में हैं तो मृत्यु या मृत्यु के समान कष्ट हो सकता है।
इस वर्ष प्रथम सोमवार से ही शिवजी श्मशान में निवास कर रहे हैं। तथा पांचों सोमवार शिवजी का निवास श्मशान में रहेगा। अत: इस समय 16 सोमवार का व्रत प्रारंभ करना ठीक नहीं रहेगा।
दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार हिन्दू पंचांग में भाद्रपद कृष्ण की अमावस्या तक श्रावण रहेगा। अत: इस पक्ष में भी 2 सोमवार हैं जिसमें प्रथम सोमवार शिवजी भोजन व क्रीड़ा में रहेंगे अत: संतापकारक है। भाद्रपद का अंतिम सोमवार अमावस्या के दिन 21 अगस्त 2017 को आ रहा है। उस सोमवार को शिवजी वृषभ पर विराजमान रहेंगे अत: इस दिन से सोमवार प्रारंभ करना शुभ होगा।