Kaleshwar Shiva Temple Kangra: भारत में ऐसे कई शिवलिंग हैं जो आकार में बढ़ते जा रहे हैं लेकिन एक ऐसे भी शिवलिंग है जो भूमि में धंसता जा रहा है। इस शिवलिंग को कहते हैं कालीनाथ। यह शिव मंदिर हिमाचल के कांगड़ा जिले में गरली-प्रागपुर के निकट ब्यास नदी के तट पर स्थित है। इसे भू-शिवलिंग भी कहते हैं। जनश्रुति के अनुसार यह शिवलिंग प्रतिवर्ष एक जौ के दाने के बराबर पाताल में धंसता चला जा रहा है।ALSO READ: श्रावण मास : लगातार बढ़ते जा रहे हैं भारत के ये 6 शिवलिंग और एक नंदी
मान्यता है कि जब यह शिवलिंग पूरी तरह से धरती में समा जाएगा तो कलियुग का अंत हो जाएगा। बैसाख मास में इस तीर्थ स्थल पर पूजा-अर्चना एवं स्नान का विशेष महत्व माना गया है। इस हिमाचल का हरिद्वार भी कहते हैं। अन्य तीर्थ स्थलों की भांति ही इस पवित्र स्थल पर स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाद कालेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसके गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है।
इस मंदिर का इतिहास पांडवकालीन माना जाता है। स्थानीय कथा के अनुसार इस जगह पर पांडव अज्ञातवास के दौरान आए थे। इसके प्रमाण वहां स्थित पौड़ियों से मिलता है। यहां पर पांडव जब आए थे तो वे अपने से हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन, नासिक और रामेश्वरम का जल लेकर आए थे। इस जल को यहां स्थित तालाब में अर्पित कर दिया था जिसे 'पंचतीर्थी' के नाम से जाना जाता है। तभी से पंचतीर्थी में स्नान को गंगा स्नान के तुल्य माना जाता है। इस मंदिर परिसर में भगवान शिव श्री कालीनाथ सहित 9 मंदिर तथा 20 मूर्तियां स्थापित हैं।ALSO READ: Sawan somvar 2024 : सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवलिंगों में सबसे महान शिवलिंग कौनसा है?