इस मंदिर में भूख से दुबले हो जाते हैं श्रीकृष्ण

बुधवार, 19 अप्रैल 2023 (14:30 IST)
Lord Krishna's idol feels hungry : भारत में सैकड़ों चमत्कारिक और रहस्यमय मंदिर हैं। ऐसा ही एक श्रीकृष्ण मंदिर भारतीय राज्य केरल के थिरुवरप्पु में स्थित है। कहते हैं कि यह मंदिर 1500 वर्ष पुराना है। कहते हैं कि इस मंदिर में रखी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को 10 बार भोग लगाया जाता है। यदि भोग लगाने में थोड़ी भी देर हो जाती है तो यह मूर्ति भूख के मारे दुबली हो जाती है। जानिए क्या है इसका रहस्य।
 
10 बार लगाया जाता है भगवान के विग्रह को भोग : 
आदिशंकराचार्य ने भी माना इस विग्रह का चमत्कार : 
  1. पहले यह मंदिर आम मंदिरों की तरह ग्रहण काल में बंद हो जाता था। 
  2. परंतु एक बार यह देखा गया कि ग्रहण खत्म होते-होते उनका विग्रह सूख जाता है, कमर की पट्टी भी नीचे खिसक जाती थी। 
  3. जब यह बात आदिशंकराचार्य को पता चली तो वे खुद इस स्थिति को देखने और समझने आए। सचाई को जानकर उन्हें भी आश्चर्य हुआ।
  4. तब उन्होंने व्यवस्था दी कि ग्रहण काल में भी मंदिर को बंद नहीं किया जाए और प्रभु को समय पर भोग लगाए जाएं। 
  5. हालांकि इस कथा को विल्वमंगलम स्वामीयार से जोड़कर भी देखा जाता है।
24 घंटे में सिर्फ 2 मिनट के लिए बंद होता है मंदिर :-
 
 
जो खाता है यहां का प्रसाद जीवन में कभी भूखा नहीं रहता : 
 
भूख लगने से जुड़ी कथा:
मंदिर से जुड़ी किंवदंतियां हैं कि वनवास के दौरान पांडव, श्रीकृष्ण की मूर्ति की पूजा करते और उनको भोग लगाते थे। उनका वनवास यही तिरुवरप्पु में समाप्त हुआ और मछुआरों के अनुरोध पर उन्होंने इस मूर्ति को यहीं छोड़ दिया था। मछुआरों ने ग्राम देवता के रूप में वहां पर श्रीकृष्‍ण को पूजना प्रारंभ किया। लेकिन जब वे संकटों से घिर गए तब एक ज्योतिष ने बताया कि आप लोग पूजा ठीक तरह से नहीं कर पा रहे हो। तब उन मछुआरों ने उस मूर्ति को एक समुद्री झील में विसर्जित कर दिया।
 

एक झपकी लेने के बाद जब वे उठे तो उन्होंने उस मूर्ति को भी उठाने का प्रयास किया, परंतु वह मूर्ति वहीं भूमि पर चिपक गई थी। ग्रामीणों की मदद से लाख कोशिश करने के बाद भी मूर्ति को वहां से हिला भी नहीं सके तो वहीं पर मूर्ति की प्रतिष्ठा कर दी गई। बाद में यह जाना गया कि इस मूर्ति में कृष्ण का भाव कंस को मारने के बाद के क्षणों का है जबकि उन्हें बहुत भूख लगी थी। इस मान्यता के चलते तभी से यहां पर निरंतर भोग लगाया जाता है।

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