इस पर श्रीकृष्ण कहते हैं- वो! वो मायावी संभरासुर की माया है। अरे, आपको भ्रम में डालने के लिए संभरासुर ने ये माया रचाई थी और आप उसके मायाजाल में फंस गए दाऊ भैया। फिर श्रीकृष्ण कहते हैं- ये देखिये और वह मृत श्रीकृष्ण गायब हो जाते हैं। फिर श्रीकृष्ण कहते हैं- अब आप जान गए संभरासुर की नीति। मृत्युलोक में माता, पिता, भ्राता, पुत्र, कन्या, पौत्र इस तरह के अटूट नाते बन जाते हैं। उसी का लाभ उठाने का प्रयास ये मायावी संभरासुर करता है। अपनी माया से अपने शत्रु को शोकाकुल कर देता है। फिर ऐसे शत्रु पर उसे विजय प्राप्त करने में किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। दाऊ भैया आप रणभूमि पर हैं। यदि मुझे सचमुच ही मृत्यु आ जाती तो भी आपको शस्त्र नीचे नहीं रखना चाहिए।