न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।2.20।।
यह शरीरी न कभी जन्मता है और न मरता है तथा यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला नहीं है। यह जन्मरहित, नित्य-निरन्तर रहने वाला, शाश्वत और पुराण (अनादि) है। शरीरके मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता।...इसलिए किसी के मरने या मारने का शोक किए बिना तू अपना कर्तव्य कर। तेरा धर्म युद्ध करना है। तू अपना धर्म समझकर युद्ध कर।