उधर, दुर्योधन और द्रोण जयद्रथ की सुरक्षा को लेकर चार्च करते हैं और तय होता है कि सिंधु नरेश को युद्ध भूमि से दूर सुरक्षित स्थान पर कड़े पहरे के बीच रखा जाएगा। शकुनि, दुर्योधन, कृपाचार्य, द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा शपथ लेते हैं कि हम हर हाल में जयद्रथ की रक्षा करेंगे।