7. गुरु गोविंद सिंह महान कर्मप्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस कवि और संघर्षशील वीर योद्धा थे। उनमें भक्ति, शक्ति, ज्ञान, वैराग्य, समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओत-प्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी।