2. गुरुग्रंथ साहिब में हैं संतों की वाणी : इस पवित्र ग्रंथ में संत जयदेव, परमानंद, कबीर, रविदास, नामदेव, सघना, शेख फरीद और धन्ना आदि की भी वाणियां संकलित की गई हैं।
3. सरल भाषा : इस ग्रंथ की भाषा बड़ी ही सरल, सुबोध, सटीक और जन-समुदाय को आकर्षित करने वाली है। हालांकि गुरुग्रंथ साहिब में भाषा की विविधता है।
5. ग्रंथ के भाग : ग्रंथ साहिब की प्रथम 5 रचनाएं क्रमश: 1. जपुनीसाणु (जपुजी), 2. सोदरू महला1, 3. सुणिबड़ा महला1, 4. सो पुरषु, महला4 और 5. सोहिला महला1 के नामों से जानी जाती हैं और इनके अनंतर सिरीराग आदि 31 रागों में विभक्त पद आते हैं।