'गुरु ग्रंथ साहिब' (Guru Granth Sahib) सिख समुदाय का प्रमुख धर्मग्रंथ है। श्री गुरु नानक देव जी से लेकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी तक गुरुगद्दी शारीरिक रूप में रही क्योंकि इन सभी गुरु जी ने पांच भौतिक शरीर को धारण करके मानवता का कल्याण किया। पर सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind Singh Ji) ने शरीर का त्याग करने से पहले सारी सिख कौम को आदेश दिया कि आज से आपके अगले गुरु 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब' (Guru Granth Sahib Ji) हैं।
आज से हर सिख सिर्फ 'गुरु ग्रंथ साहिब' जी को ही अपना गुरु मानेगा। उन्हीं के आगे शीश झुकाएगा और जो उनकी बाणी को पढ़ेगा, वो मेरे दर्शन की बराबरी होगी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने आदेश दिया कि सिख किसी भी शरीर के आगे, मूर्ति के आगे या फिर कब्र के आगे सिर नहीं झुकाएंगे। उनका एक ही गुरु होगा और वो है 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब'।
इसे गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। यह खासकर पंजाब राज्य में मनाया जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाशोत्सव प्रतिवर्ष भादों मास के 15वें दिन यानी भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाता है। पंजाबी कैलेंडर के अनुसार यह छठे महीने में तथा पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व अगस्त या सितंबर महीने पड़ता है। इस वर्ष 20 पर्व 28 अगस्त 2022, रविवार को मनाया जाएगा।
मान्यतानुसार सिख धर्मग्रंथ को गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाता है तथा यह सिख गुरुओं और संतों द्वारा बोली गई बानी को प्रकट करता है। ज्ञात हो कि सिख धर्म में धर्मशास्त्र के शब्दों को गुरुबानी के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है 'गुरु के मुंह से' निकली हुई वाणी।
इस दिन क्या किया जाता है : guru granth sahib parkash purb
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाशोत्सव के दिन गुरुद्वारा साहिब से नगर कीर्तन निकाला जाता है।
- निशान साहिब को चोला साहिब बदलने के साथ अरदास की जाएगी।
- कीर्तन दरबार में शबद गायन के साथ संगत को निहाल करेंगे।
- कथावाचक सिख समुदाय को श्री गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए उसके पालन का आह्वान करेंगे।
- नगर कीर्तन के मार्ग में विभिन्न संस्थाओं द्वारा लंगर लगाया जाता है।
- यह नगर कीर्तन विभिन्न इलाकों से होते हुए पुन: गुरु घर में संपन्न होता है।
- इस दिन धार्मिक रस्में तथा पूजा-अर्चना की जाती है, तथा संकीर्तन मंडली द्वारा दिनभर प्रभु महिमा का गुणगान किया जाता है।
गुरु ग्रंथ साहिब का महत्व : guru granth sahib importance
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को सुबह 4-5 बजे के समय अरदास (प्रार्थना) करके गुरुद्वारे के मुख्य कमरे में दर्शन के लिए लाया जाता है।
- फिर वहां बाणी का पाठ होता है।
- कीर्तन होता है।
- इस प्रकार रात्रि के 7-8 बजे तक गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश रहता है।
- फिर दुबारा अरदास करके उन्हें उनके निजी स्थान पर विराजमान किया जाता है।
- हर सिख बच्चे के नाम का पहला अक्षर गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी के पहले अक्षर से लिया जाता है।
- हर सिख अपना जो भी काम करता है, वो गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे अरदास करके ही किया जाता है।