सिंहस्थ में साधुओं का अजब-गजब रूप और रंग हैं, लेकिन उनमें भी नागा साधुओं की बात ही अलग है। नागा साधुओं में भी वे नागा अनोखे हैं जो निर्वस्त्र रहते हैं। उनके निर्वस्त्र रहने का अनोखा अंदाज सभी के लिए आश्चर्य और कुतूहल का विषय है। नागा साधुओं के नए-नए करतब और क्रिया-कलाप देखकर दांतों तले अंगुलियां दबा लेंगे आप।
नागा साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत मले, निर्वस्त्र रहते हैं। उनकी बड़ी-बड़ी जटाएं भी आकर्षण का केंद्र रहती है। हाथों में चिमटा, चिलम, कमंडल लिए और गांजा या चरस का कश लगते हुए इन साधुओं को देखना अजीब लगता है। ये मस्तक पर आड़ा भभूत लगा तीनधारी तिलक लगारक धुनी रमाकर रहते हैं।
तरह-तरह की चिलम रखना और पीना तो प्रचलन में है ही लेकिन चश्मा पहनना, माला धारण करना और भभूत धारण करने में भी स्टाइल होती है। कोई कमर में चश्मा लटकाता है तो किसी ने अपनी जटाजूट में चश्मा खोस रखा है। हद तो तब हो गई जब कुछ साधुओं ने अपने मेनपार्ट को भी अब सजाना शुरू कर दिया है। इस बारे में कुछ लिखना असंगत होगा। वैष्णव साधु जहां सफाचट है वहीं शैव साधु जाटाजूट है। जटाएं भी इतनी लंबी की आप नापते ही रह जाएं।