दो ओलंपिक और एक विश्व कप जीत चुके जर्मनी के महान हाफबैक मौरित्ज फुर्स्ते का मानना है कि भारतीय हॉकी टीम ने पिछले 15 साल में काफी प्रगति की है लेकिन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लिये उसे प्रदर्शन में निरंतरता लानी होगी।
जर्मनी का यह महान खिलाड़ी 2008 बीजिंग और 2012 लंदन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा था । उन्होंने 2006 में मोंशेंग्लाबाख में विश्व कप भी जीता।
मौरित्ज ने यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पर भारत और जर्मनी के बीच टेस्ट मैच से इतर भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा , पंद्रह साल पहले भारत शीर्ष पांच से काफी दूर था लेकिन अब उन छह टीमों में से रहता है जो किसी भी टूर्नामेंट में पदक की दावेदार होती हैं।
उन्होंने कहा ,वे कांस्य पदक जीत रहे हैं लेकिन अब समय आ गया है कि अगला कदम बढायें । स्वर्ण पदक के लिये अभी उनमें एक ही कमी है और वह है प्रदर्शन में निरंतरता । अब उन्हें सेमीफाइनल जीतने की आदत डालनी होगी।
तीस वर्ष के इस खिलाड़ी ने कहा , भारतीय टीम लगातार मैचों में एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। कई बार ग्रुप मैचों में खराब शुरूआत के बाद शानदार वापसी कर लेती है तो कई बार चूक जाती है। लेकिन एक स्तर आगे बढने के लिये इस तरह के मैच जरूरी है जैसे ओलंपिक का सेमीफाइनल खेला था।
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि भारतीय टीम में बड़े मैचों को लेकर कोई मानसिक अवरोध है।
उन्होंने कहा , मैं यह नहीं कहूंगा कि कोई मानसिक अवरोध है। मैं खुद इस स्थिति से गुजरा हूं। हमने जर्मन लीग में पांच बार सेमीफाइनल गंवाये जिसके बाद खिताब जीत सके। सेमीफाइनल में पहुंचना बड़ी बात है जिसके लिये ग्रुप मैच, क्वार्टर फाइनल खेलना होता है।
हॉकी इंडिया लीग के पहले सत्र में रांची राइनोज के कप्तान रहे मौरित्ज ने कहा कि भारत के पास बेहद प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और अब वे यूरोपीय शैली की तेज रफ्तार हॉकी बखूबी खेल रहे हैं।
उन्होंने कहा , भारतीय टीम किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं है। पेनल्टी कॉर्नर अच्छा है और डिफेंस भी शानदार है। उनके पास पी आर श्रीजेश के रूप में महान गोलकीपर था और अब देखना होगा कि उसके बिना कैसे खेलते हैं। मनप्रीत सिंह के रूप में उनके पास बेहद अनुभवी मिडफील्डर है।उन्होंने कहा , वे पिछले दस साल से यूरोपीय शैली में हॉकी खेल रहे हैं और यह बहुत बड़ा कदम है। इसने भारतीय हॉकी का ग्राफ ऊपर ले जाने में काफी मदद की है।
ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल 2026 से हॉकी को हटाये जाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि जर्मनी चूंकि इसका हिस्सा नहीं है तो वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।उन्होंने कहा, राष्ट्रमंडल खेलों की जानकारी नहीं है क्योंकि जर्मनी इसका हिस्सा नहीं है। लेकिन कहीं भी हॉकी को हटाया जाना झटका है।
भारत में खेलने को अपने कैरियर की सबसे सुनहरी यादों में बताते हुए उन्होंने कहा , मैने इस मैदान पर 2010 विश्व कप और दिल्ली वेवराइडर्स के लिये हॉकी इंडिया लीग में खेला है। दिल्ली इतना खूबसूरत शहर है और यहां हॉकी की वापसी शानदार है । 2010 विश्व कप शानदार था और हमने इसमें खेलने का पूरा मजा लिया।
उन्होंने आगे कहा , भारत में खेलने की मेरी सबसे अच्छी यादें हैं । मैं सभी को बताता हूं कि मेरे कैरियर की सर्वश्रेष्ठ यादें भुवनेश्वर, रांची , दिल्ली की है। हॉकी के विश्व स्तर पर विकास के लिये इस तरह के मुकाबले होने बहुत जरूरी हैं।
सात साल पहले फिटनेस रेस कंपनी हाइरॉक्स की शुरूआत करने वाले मौरित्ज भारत में उसके लांच के सिलसिले में आये हैं। उनकी कंपनी ऐसी रेस आयोजित करती है जिसमे दौड़ और सहनशीलता दोनों की परख होती है।
उन्होंने इसके बारे में बताया ,मैने सात साल पहले हाइरॉक्स शुरू की और करीब 40 देशों में 500000 प्रतिभागी इसमें भाग ले चुके हैं। हाइरॉक्स का भारत में पहला इवेंट अगले साल मुंबई में होगा। यह फिटनेस वर्कआउट है जिसमें रनिंग और एंड्यूरेंस दोनों शामिल है। हमने ऐसे लोगों के लिये रेस तैयार की है जो जिम नहीं जाते हैं।
उन्होंने बताया कि मुंबई के बाद वह दिल्ली और बेंगलुरू समेत भारत के दस और शहरों में इसकी शुरूआत करेंगे। (भाषा)