हॉकी कोच हरेंद्र सिंह ने हार के लिए अंपायरिंग को ठहराया दोषी

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018 (09:43 IST)
भुवनेश्वर। नीदरलैंड के हाथों विश्व कप क्वार्टर फाइनल में मिली हार के बाद अंपायरिंग पर ऊंगली उठाते हुए भारतीय हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह ने कहा कि खराब अंपायरिंग ने एशियाई खेल के बाद उनकी टीम से कप जीतने का मौका भी छीन लिया।


नीदरलैंड से 1–2 से हारने के बाद हरेंद्र ने कहा, मेरी समझ में नहीं आता कि अमित रोहिदास को दस मिनट का पीला कार्ड क्यों दिखाया गया जबकि मनप्रीत को पीछे से धक्का मारने पर भी डच खिलाड़ी को कोई कार्ड नहीं मिला। हम एशियाई खेल के बाद विश्व कप जीतने का मौका भी खराब अंपायरिंग से गंवा गए। हरेंद्र ने कहा, मैं इस हार के लिए माफी चाहता हूं लेकिन जब तक अंपायरिंग का स्तर नहीं सुधरेगा, हम ऐसे ही नतीजों का सामना करते रहेंगे।

भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा, दो बड़े टूर्नामेंटों में हमारे साथ ऐसा हुआ। लोग हमसे पूछते हैं कि हम जीत क्यों नहीं रहे। हमारी टीम के प्रदर्शन में सुधार क्यों नहीं आ रहा, लेकिन हम क्या जवाब दें। हरेंद्र ने शिकायत दर्ज करने से इनकार करते हुए कहा, मेरे करियर में किसी भी विरोध का नतीजा अच्छा नहीं रहा है। हम इसे गरिमा के साथ स्वीकार करते हैं, लेकिन तटस्थ अंपायरिंग की भी मांग करते हैं। अंपायर का एक गलत फैसला किसी टीम की चार पांच साल की मेहनत पर पानी फेर देता है।

हार के बावजूद कोच ने अपने खिलड़ियों की तारीफ करते हुए कहा, उन्होंने बराबरी से मुकाबला किया और मैं उनको सलाम करता हूं। दोनों टीमों ने काफी आक्रामक हॉकी खेली और कई बार आप सही पोजीशन पर नहीं रहते या स्टिक सही जगह नहीं होती तो यह सब होता रहता है। गोलकीपर के बिना भी जिस तरह से मेरे खिलाड़ी खेले, उनको सलाम है।

भविष्य के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, हमने विश्व कप तक की रणनीति बनाई थी। अब हॉकी इंडिया के साथ बैठकर आगे के बारे में सोचेंगे। उधर डच कोच मैक्स कैलडेस ने अंपायरिंग की आलोचना को बेवजह बताते हुए कहा, अंपायरों ने मैच नहीं खेला, हमने खेला और हम जीते। हारने के बाद इस तरह की बातें होती हैं, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी में फैसला हमारे खिलाफ गया था जब हमने भारत से ड्रॉ खेला। अंपायर अपना काम करते हैं और खिलाड़ी अपना।

डच कप्तान बिली बाकेर ने भी अंपायरिंग को सही ठहराते हुए कहा, हमें अंपायरिंग से कोई शिकायत नहीं है। कई बार फैसले टीम के पक्ष में नहीं होते लेकिन उनका सामना करना पड़ता है। हमारी टीम बेहतर थी और हालात के अनुरूप खुद को ढालकर हमने अच्छा खेला।

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