मुंबई। भारतीय टीम की निगाहें करिश्माई सुनील छेत्री के प्रदर्शन के बूते रविवार को यहां इंटरकांटिनेंटल कप के फाइनल में कीनिया को हराकर ट्रॉफी अपने नाम करने पर लगी होगी। टीम चाहेगी कि इस मैच के लिए स्टेडियम खेलप्रेमियों से भरा हो, ताकि घरेलू खिलाड़ी अच्छा खेल दिखाने को प्रेरित हो सकें।
आयोजकों ने इस मैच के सभी टिकट बिकने का दावा किया है। गोल करने में तीसरे नंबर पर काबिज छेत्री ने तीन मैचों में गोल दागे हैं, जिसमें चीनी ताइपे के खिलाफ हैट्रिक और कीनिया के खिलाफ दो गोल शामिल हैं। मेजबान भारत इस टूर्नामेंट को अगले साल जनवरी में होने वाले एएफसी एशियाई कप की तैयारियों के तौर पर खेल रहा है और अगर उसे इस टूर्नामेंट के फाइनल में जीत मिलती है तो इससे निश्चित रूप से उसके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
भारत ने लीग मैचों में कीनिया को 3-0 से पस्त किया था जो कप्तान छेत्री का देश के लिए 100वां मैच भी था। और भारतीय कप्तान ने भी दो गोल कर इस मैच को यादगार बना दिया था। अब टीम इस अफ्रीकी टीम के खिलाफ अपने लीग मैच के प्रदर्शन को फाइनल में भी दोहराना चाहेगी। मेजबान टीम ने पूरे टूर्नामेंट में आक्रामक खेल दिखाया है, लेकिन स्टीफन कांस्टेनटाइन की टीम कीनिया को हल्के में नहीं ले सकती क्योंकि उसने न्यूजीलैंड को 2-1 से और बीती रात चीनी ताइपे को 4-0 से शिकस्त दी।
कांस्टेनटाइन सुनिश्चित करेंगे कि उनकी सर्वश्रेष्ठ शुरुआती एकादश कल मैदान में उतरे क्योंकि पिछले मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ उनकी सात खिलाड़ियों को बदलने की रणनीति उनके खिलाफ गई थी जिसमें टीम को 1-2 से हार मिली थी। सभी की निगाहें फिर से छेत्री पर लगी होंगी जिनके नाम पर 62 गोल हैं और वह भी इनमें इजाफा करना चाहेंगे। वह और जेजे लालपेखलुवा किसी भी मजबूत डिफेंस् के सामने चुनौती पेश कर सकते हैं और कीनिया भी इससे अलग नहीं होगी।
भारत के पास उदांता सिंह, अनिरुद्ध थापा, प्रणय हलदर और हलीचरण नारजरी जैसे मिडफील्डर मौजूद हैं। अगर कीनिया के शारीरिक रूप से मजबूत खिलाड़ियों को पस्त करना है तो उन्हें अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभानी होगी। वहीं टीम में अनुभवी डिफेंडर जैसे संदेश झींगन और प्रीतम कोटल मौजूद हैं। इनके अलावा सुभाशीष बोस के साथ ये सभी कीनिया के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।