विंबलडन : सेरेना-कर्बर के बीच फाइनल रहेगा रोमांचक

मयंक मिश्रा

शुक्रवार, 13 जुलाई 2018 (15:17 IST)
सेरेना के नहीं खेलने के समय महिलाओं का टेनिस काफी बराबरी का लगता था। जिसमें कभी भी कोई भी जीत सकता था। अब जब सेरेना की वापसी हो गई है तो यह फिर से एकतरफा हो गया है। गुरुवार को उन्होंने जूलिया को लगभग एक घंटे में ही हरा दिया। इस मैच के लंबे चलने की संभावनाएं ज्यादा तो नहीं थी। मगर इसका इतना एकतरफा होना भी सोचा नहीं गया था।
 
 
सेरेना के लिए जहां पिछले साल चलना तक मुश्किल था। उनका विंबलडन फ़ाइनल में पहुंचना ही एक बडी उपलब्धि हैं। कल के मैच में जूलिया ने सेरेना को कोई मुश्किलें नहीं दी। वे सेरेना को बेसलाइन रैलियों में हराना चाह रहीं थी जबकि सेरेना को इससे कोई दिक्कतें नहीं हो रहीं थी। जूलिया अगर सेरेना को हर शॉट में सोचने को थोड़ा मजबूर करती तो शायद अच्छी टक्कर दे पाती।
 
जूलिया के प्लेयर बॉक्स में कल सिर्फ दो ही लोग थे। विंबलडन जैसे टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचना जहां अपने आप में एक उपलब्धि है। ऐसे मौकों पर खिलाडी को प्रोत्साहित करने के लिए छोटी-छोटी बातें भी काफी मायने रख सकती है। शायद कल उनकी यह जरूरतें पूरी नहीं हो पाई।
 
सेरेना को फ़ाइनल कर्बर से खेलना है। कर्बर ने भी जेलेना ओस्टापेंको को लगभग एक घंटे में ही हरा दिया था। ओस्टापेंको ने मैच की शुरुआत तो बढ़िया की थी मगर उन्होंने काफी गलतियां की। वो कर्बर की एक गलती के मुकाबले दस गलतियां कर रही थी और उनकी हार का मुख्य कारण यही रहा था। ओस्टापेंको का कल गलतियों के बाद खुद पर नाराज होना भी उनके लिए अच्छा नहीं रहा। बेहतर होता की इन मौकों पर शांत रहती। 
 
ओस्टापेंको का गुस्सा करना कर्बर के लिए फायदेमंद साबित हो रहा था। उनका खुद पर विश्वास बढ़ रहा था। जहां पहले वे सिर्फ डिफेंसिव खेल रही थी उन्होंने अटैक करना भी शुरू कर दिया था। विंबलडन में कर्बर के लिए इवन-ऑड की स्किम जैसा ही चल रहा है। उनके लिए ऑड साल जहां अच्छे नहीं रहे हैं। वही उन्होंने यहां इवन सालों में बढ़िया प्रदर्शन किया है और यह साल इवन है। शनिवार को पता चल जाएगा की यह इवन साल उनके लिए और कितना अच्छा होने वाला है।
 
नडाल और डेलपोत्रो जब सेंटर कोर्ट पर खेल रहे थे। तब रॉयल बॉक्स के पीछे की काफी सीटें खाली थीं। वजह इंग्लैंड और क्रोएशिया का फुटबॉल मैच था। साल के सबसे अच्छे माने जा रहे नडाल-डेलपोत्रो के मैच में भलें ही कुछ सीटें खाली रह गई थी। आज नडाल और जोकोविच के बीच होने वाले मैच में शायद ही कोई सीट खाली मिले। नडाल के कोच ने हाल ही में कहा था की फेडरर अब खेल रहे है क्योंकि वे खुद को सबसे महान खिलाडी साबित कर सकें। जबकि नडाल इसलिए खेल रहे हैं क्योंकि वे ग्रैंड स्लैम जीत सके। 
 
नडाल जरूर यहां जीत सकते है बस एक मुश्किल है वो जोकोविच है। जोकोविच के लिए विंबलडन में हर मैच अपनी पहचान और जगह बताने वाला हो गया है। इसलिए वो एक बड़ा खतरा है इस मैच से पहले इस्नेर और एंडरसन के बीच पहला सेमीफाइनल खेला जाना है। एंडरसन के लिए इस मैच में सबसे बड़ी मुश्किल फेडरर से हुए मैच जैसा फोकस बनाए रखना होगा। अपने करियर की सबसे यादगार जीत के बाद अगर वे ऐसा करने में कामयाब रहे तो रंकिंग से लेकर खेल में वे इस्नेर से आगे ही हैं।  

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