धनराज पिल्लै (जन्म 16 जुलाई 1968) भारत के हॉकी खिलाड़ी और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान हैं। वर्तमान में धनराज पिल्लै भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर हैं। साथ ही अह हॉकी की एडहॉक समिति के भी सदस्य हैं। इस समिति का गठन कंवर पाल सिंह गिल के टीम से सस्पेंशन के बाद हुआ। 2014 में धनराज पिल्लै आम आदमी पार्टी से जुड़ गए और इस तरह उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ।
बचपन
धनराज पिल्लै का जन्म महाराष्ट्र में पूना के पास खड़की में हुआ। वह तमिल माता पिता की चार संतानों में से एक हैं। वह अविवाहित हैं और मुंबई के पवई में रहते हैं। उनकी माता अंडालम्मा और पिता नागालिंगम अब भी खड़की में ही रहते हैं। धनराज पिल्लै बेहतरीन तमिल (मातृभाषा), हिंदी, अंग्रेजी और मराठी बोलते हैं।
पिल्लै का बचपन ऑर्डिनेंस फेक्ट्री स्टॉफ कॉलोनी में बीता जहां उनके पिता उस जगह के मैदान की देखभाल करते थे। धनराज यहां के नर्म और कीचड़ भरे मैदान पर अपने भाईयों और साथियों के साथ खेला करते थे। धनराज ने हॉकी खेलना टूटी लकडियों और फेंकी हुई हॉकी गेंदों के साथ सीखा। वह अपनी माता को अपनी हॉकी की काबिलियत का श्रेय देते हैं। उनकी मां ने अपने पांचों बेटों को हॉकी खेलने की प्रेरणा दी बावजूद इसके कि उनकी आर्थिक हालत काफी खस्ता थी।
धनराज मुंबई गए अस्सी के दशक के मध्य में अपने भाई रमेश के पास मुंबई चले गए। यहां रमेश आरसीएफ के लिए मुंबई लीग में खेल रहे थे। रमेश भारत के लिए अंतराष्ट्रीय मैचों में खेल चुके थे और उनके मार्गदर्शन ने धनराज पिल्लै को काबिल बनने और तेज स्ट्राइकर बनने में बहुत मदद की। इसके बाद वे महिंद्रा एंड महिंद्रा चले गए जहां उन्हें खेल उस समय भारतीय हॉकी कोच जे एम कारवाल्हो ने सिखाया।
करियर की शुरूआत
धनराज पिल्लै ने अंतराष्ट्रीय हॉकी में 1989 में कदम रखा जब उन्होंने नई दिल्ली में ऑलवेन एसिया कप खेला।
अंतराष्ट्रीय करियर
धनराज पिल्लै जिनका करियर दिसंबर 1989 से अगस्त 2004 के बीच चला, ने कुल 339 अंतराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया। भारतीय हॉकी फेडरेशन ने उनके द्वारा किए गए गोल्स का रिकॉर्ड नहीं रखा है। यही वजह है कि धनराज पिल्लै द्वारा लगाए गए गोल्स की सही संख्या के विषय में नहीं कहा जा सकता। उन्होंने करीब 170 गोल्स किए हैं ऐसा अनुमान धनराज पिल्लै का है।
अचीवमेंट
वह अकेले ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने चार ओलंपिक में हिस्सा लिया है। 1992, 1996, 2000 और 2004 के ओलपिंक में धनराज पिल्लै खेले। 995, 1996, 2002, और 2003 में हुई चैंपियंस ट्रॉफी का भी हिस्सा रहे। 1990, 1994, 1998, और 2002 में हुए एशियन गेम्स में भी धनराज पिल्लै खेले। भारत ने 1998 में और 2003 में एशियन गेम्स और एशिया कप धनराज पिल्लै की कप्तानी में जीता। साथ ही वह बैंकाक एशियन गेम्स में सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने।
क्लब हॉकी
धनराज पिल्लै विदेशी क्लब जैसे द इंडियाना जिमखाना (लंदन), एचसी ल्योन (फ्रांस), बीएसएन एचसी एंड टेलेकॉम मलेशिया एच सी (मलेशिया), अबाहानी लिमिटेड (ढाका), एचटीसी स्टुटगार्ट किकर्स (जर्मनी) और खाल्सा स्पोर्टस क्लब (हांगकांग) के लिए खेला है।
अवार्ड
धनराज पिल्लै को भारत का सबसे बड़ा खेल अवार्ड, द राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड 1999-2000 में दिया गया। उन्हें 2001 में पद्मश्री दिया गया। वह 2002 की चैंम्पियंस ट्रॉफी के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थे।
कंट्रोवर्सी
बैंकाक एसियाड में जीत के बाद, धनराज पिल्लै को टीम में शामिल नहीं किया गया। जहां टीम मैनेजमेंट का कहना था कि उन्हें आराम दिया जा रहा है वहीं धनराज का सही मैच फीस न मिलने की शिकायत जिम्मेदार समझी गई। जब उन्हें खेल रत्न दिया गया तो पिल्लै ने कहा इससे कुछ कडवी यादें मिट जाएंगी।
बॉयोग्राफी
'फॉर्गिव मी अम्मा' धनराज पिल्लै पर लिखी गई बॉयोग्राफी है जिसे पत्रकार सुंदीप मिश्रा ने लिखा है।