2000-01 सीजन में, रेल्वे की टीम रंजी ट्रॉफी के फायनल में जगह बनाने में सफल हुई। अगले सीजन में यह प्रतियोगिता रेल्वे ने जीती। इसी दौरान संजय बांगर सिलेक्टरों की नजर में चढ़ गए। इसके बाद उन्हें भारतीय टीम में इंग्लैंड के खिलाफ चुन लिया गया।
अपने करियर के दूसरे अंतराष्ट्रीय टेस्ट में ही बांगर ने 100 नॉट ऑउट बनाए। यह मैच नागपुर में जिम्बाब्वे के विरूद्ध था। 2002 में टीम के इंग्लैंड दौरे में उन्हें पारी की शुरूआत करने को कहा गया। वह 2003 में भारतीय टीम का हिस्सा थे जो क्रिकेट वर्ल्ड कप खेली थी परंतु इसके बाद उनके प्रदर्शन में कमी आने लगी। 12 टेस्ट मैच और 15 एक दिवसीय मैच खेलने के बाद, 2004 में बांगर भारतीय क्रिकेट टीम के लिए आखिरी बार खेले।