जन्माष्टमी के दिन प्रसाद के रूप में भगवान श्री कृष्ण को नैवेद्य / भोग में पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए। दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत'। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से श्री कृष्ण प्रसन्न होते है।
250 मिली गाय का दूध (ताजा), 2 टेबल चम्मच मिश्री पिसी हुई, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच देशी घी, 2 चम्मच ताजा दही, 2-3 तुलसी के पत्ते।
2. इसमें तुलसी के पत्ते मिलाएं।
3. पंचामृत तैयार है।
इस प्रकार दूध, चीनी, शहद दही और घी आदि पांच अमृतों को मिलाकर ही पंचामृत बनाया जाता है। पंचामृत का सेवन कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। इसके सेवन से स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।