कहा जाता है कि विजेता कुछ अलग काम नहीं करते वह काम को ही अलग तरीके से करते हैं। यह कहा जा सकता है टीम ऑस्ट्रेलिया के लिए जिन्होंने कल टी-20 विश्वकप जीत का सूखा खत्म कर दिया और न्यूजीलैंड को 8 विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया।
हर टी-20 विश्वकप विजेता ने कुछ ना कुछ अलग किया होता है तब जाकर ही वह इतनी सारी टीमों के बीच खिताब जीत पाता है। इस बार ऑस्ट्रेलिया ने एक ऐसी चीज की जिसे करने के बार में कोई दूसरी टीम सोच भी नहीं रही थी।
जहां तीसरे क्रम पर एक स्थायी बल्लेबाज बल्लेबाजी करने आता है वहां ऑस्ट्रेलिया ने लगातार अपने ऑलराउंडर मिचेल मार्श को बल्लेबाजी करने भेजा। वहीं भारत के लिए विराट कोहली, न्यूजीलैंड के लिए केन विलियमसन , इंग्लैंड के लिए डेविड मलान जैसे बल्लेबाज उतरते थे।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया का यह प्लान बाकी टीमें देख रही थी लेकिन इसको अपनाने का ख्याल किसी टीम को नहीं आया। बल्कि टीम मीटिंग्स में सभवत इस प्लान को बेवकूफाना ही करार दिया गया होगा।
लेकिन धीरे धीरे करके मिचेल मार्श पर करा गया यह निवेश रंग दिखाने लगा। कुल 5 मैचों में शॉन मार्श के भाई मिचेल मार्श ने 61 की औसत से 185 रन बनाए। इसमें दो अर्धशतक शामिल थे। पहला वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला गया।
इसमें मार्श ने 5 चौके और 2 छक्कों की मदद से 32 गेंदो में 53 रन बनाए थे। लेकिन उनकी बल्लेबाजी का सबसे बड़ा फल ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में मिला। उन्होंने 50 गेंदो में नाबाद 77 रन बनाए जिसमें 6 चौके और 4 चौके शामिल थे।
क्या खास किया मिचेल मार्श ने ?
खासकर फाइनल की बात करें तो मिचेल मार्श ने जब जब विकेट गिरा न्यूजीलैंड के गेंदबाजों पर कांउटर अटैक किया।
पहले ऐरन फिंच और फिर डेविड वॉर्नर जब जब ऑस्ट्रेलिया ने विकेट गंवाया तब तब मिचेल मार्श ने यह सुनिश्चित किया कि टीम पर अतिरिक्त दबाव ना पड़े। ऐरन फिंच के आउट होने के बाद उन्होंने एडम मिल्ने को 1 छक्का और 2 चौके मारे थे।
डेविड वॉर्नर जैसे ही ट्रेंट बोल्ट की गेंद पर बोल्ड हुए उसके ठीक बाद मार्श ने सैंटनर की गेंद पर छक्का और चौका मारा। इससे यह हुआ की विकेट लेकर मैच में वापस आयी न्यूजीलैंड जो यह सोच रही थी कि विकेट गिरने के बाद रन गति कम होगी वैसा नहीं हुआ और कीवी टीम फिर दबाव में आ गयी।
वहीं न्यूजीलैंड ने जब जब विकेट गिरा तब रक्षात्मक रवैया अपनाया। खासकर केन विलियमसन और मार्टिन गुप्टिल ने। शुरुआती मैचों में ऐसा कुछ भारत ने भी नहीं सोचा। पहला विकेट गिरने के बाद हमेशा विराट कोहली ही क्रीज पर आते थे और गेंद का उपयोग करते थे। इससे सामले वाले बल्लेबाज पर दबाव पड़ता और वह विकेट गंवा बैठता। (वेबदुनिया डेस्क)