शिक्षक दिवस आते ही विद्यार्थियों के मन में फिर श्रद्धा का अंबार उमड़ आने लगता है। ऐसे में इस दिन स्कूल-कॉलेज के कई विद्यार्थी अपने शिक्षक को गिफ्ट्स, फूल, पेन आदि अपने चीजें भेंट स्वरूप देते हैं। लेकिन उनमें सबमें अलग हैं शासन द्वारा जारी किया गया शिक्षकों के 'पाद पूजन' का कागजी आदेश। कई बार विवादों में आने के बावजूद शासन विद्यार्थियों से शिक्षक के पैर धुलवाकर उनका पूजन करवाना चाह रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों से शिक्षक दिवस पर स्कूलों में शिक्षकों के पाद पूजन की परंपरा चल रही है। यह परंपरा कितनी हद तक सफल व सार्थक हो रही है इसे शिक्षक ही बेहतर जानते हैं। पाद पूजन जैसे मुद्दों पर कई बार विवाद भी हुआ। वैसे अधिकांश स्कूलों में पाद पूजन नहीं होता। कहीं हुआ भी तो 2-4 विद्यार्थियों से वरिष्ठ शिक्षक या प्राचार्य पाद पूजा करवा लेते हैं।
हाल ही में दिए गए शासन के आदेश के मुताबिक 5 सितंबर को प्रत्येक स्कूल में प्रार्थना के बाद पहले कालखंड में पाद पूजन का आयोजन होगा। विद्यार्थी पाद पूजन कर शिक्षकों को फूल भेंट करेंगे। शिक्षकों को भी बच्चों को दीर्घायु व यशस्वी जीवन का आशीर्वाद देना होगा।
इस बात को कई शिक्षक गलत भी बताते हैं। इस बारे में कई शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक स्वयं ही बच्चों को पाद पूजन करने के लिए कहते हैं, जो गरिमा के अनुरूप नहीं है। शिक्षक दिवस पर भेंटस्वरूप अपनी प्यारी टीचर्स को गिफ्ट देना, फूल देना तो सही हैं। लेकिन पाद-पूजन का यह नया कार्यक्रम कुछ हजम नहीं होता।