आतंकवाद की नजर हम सब पर

आतंकवादी घटनाएँ अब हमारे आसपास ही हो रही हैं। मेट्रो शहरों के अलावा छोटे शहरों को भी आतंकवादी घटनाओं से जूझना पड़ रहा है। बीते कुछ सालों में इस तरह की वारदातों में तेजी आ रही है। आतंकवादी अब पूरी तरह तैयारी के साथ हाईटेक भी हो गए हैं। यह सब हमारे लिए एक नई चुनौती है।

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दरअसल गत कुछ वर्षों से आतंकवादी किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए बिल्कुल पेशेवराना अंदाज अपनाने लगे हैं और इस हेतु उनका सबसे महत्वपूर्ण साथी है इंटरनेट। इसका साथ पाकर आतंकी न केवल अपनी बात को लोगों के सामने रख पा रहे हैं बल्कि अपने हितों को काफी आसानी से साध रहे हैं।

इसके माध्यम से न केवल वे अपने हथियारों को और आधुनिक बना रहे हैं बल्कि अलकायदा जैसी आतंकी संस्थाएँ इंटरनेट के माध्यम से पैसा बना कर परमाणु बम बनाने में लगी है। इंटरनेट का उपयोग आतंकी संगठन शुद्ध रूप से आतंकवाद के मार्केटिंग के लिए कर रही हैं।

हजारों की संख्या में वेबसाइट्स : आतंकवादियों ने वर्ल्डवाइड वेब पर हजारों की संख्या में वेबसाइट्स बनाकर रखी है। इन वेबसाइट्स के माध्यम से वे अपनी जरूरतों को पूर्ण करते हैं। इस बात का पूर्ण ख्याल रखा जाता है कि वेबसाइट्स के आईपी एड्रेस का पता नहीं चल सके। वेबसाइट्स कुछ दिनों तक चलाई जाती है, फिर उन्हें बदल दिया जाता है ताकि सुरक्षा एजेंसियों को पता नहीं लग सके।

अलकायदा की वेबसाइट प्रतिदिन अपने आप में बदलाव कर लेती है कई बार निजी हेंकरर्स ने इस साइट को हेक करने की कोशिश की और कुछ कामयाब भी हुए परंतु कुछ दिनों बाद पुनः नए नाम से अलकायदा ने अपनी वेबसाइट को लांच कर दिया।

विश्व के सभी क्षेत्रों से है वेबसाइट : मिडिल ईस्ट से हमास, लेबनान के हिजबुल्ला,अल अक्सा मार्टयार बिग्रेड,फतह तंजिम,फिलिस्तीन इस्लामिक जेहाद, पिपल्स मुजाहिदीन ईरान,कुर्दिश वर्कर पार्टी, तुर्की की पाप्युलर डेमोक्रेटिक लिबरेशन फ्रंट पार्टी।

* यूरोप : बस्क्यु इटीए मूवमेंट,आरमाता कोर्सा, आईआरए।
* लेटिन अमेरिका : पेरु की टुपॅाक ऑमारु, शाईनिंग पाथ, कोलंबिया से कोलंबिया नेशनल लिबरेशन आर्मी, आर्मड रिवोल्युशन फोर्सेस ऑफ कोलंबिया।
* एशिया : अल कायदा, जापान से अम शिनरिक्यो, इराक से अंसार अल इस्लाम, जापानीज रेड आर्मी, हिज्बुल मुजाहिदीन भारत, लिट्टे श्रीलंका, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, मोरो इस्लामिक लिबरेशन फ्रंट फिलिपींस, लश्करे तोइबा। पाकिस्तान के अलावा चेचन्या के विद्रोहियों की वेबसाइट्स बनी हैं।

क्या होता है इन वेबसाइट्स में : अधिकांश वेबसाइट्स में आतंकी संगठनों का उद्देश्य बताया जाता है, साथ ही वे नक्शे बताए जाते हैं जिनके माध्यम से वे यह बताना चाहते हैं कि वे इन स्थानों पर अधिकार बनाना चाहते हैं। इसके अलावा कई वेबसाइट्स पर आप अगर उन्हें समर्थन दे रहे हैं तब आपका ई मेल आईडी भी डाल सकते हैं। बाद में इन ईमेल आईडी के माध्यम से ये आपको संपर्क करते हैं। कुछ आतंकी संगठन इन वेबसाइट्स पर गुप्त कोड के माध्यम से अपने लोगों को संदेश देने का काम भी करते है।

सायबर टेरेरिज्म : इन संगठनों के पास कम्प्यूटर के जानकारों की ऐसी फौज तैयार रहती है जो केवल वेबसाइट बनाना नहीं जानते बल्कि विभिन्ना देशों के कम्प्यूटर नेटवर्क में सेंध लगा सकते हैं। इनका उद्देश्य एक ही होता है कि दुश्मन देशों के स्टॉक एक्सचेंज, सेना, एअर ट्रैफिक कंट्रोल में सेंध लगा कर गड़बड़ी फैलाना। अलकायदा जैसे संगठन बहुत ही उच्च कोटि की टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हैं तथा इंटरनेट पर इस तरह की सामग्री को फैलाते हैं जिससे मनोवैज्ञानिक स्तर पर वे लोगों को प्रभावित कर सकें।

नई भर्ती भी इंटरनेट से : ये संगठन इंटरनेट के माध्यम से ही संगठन में नई भर्ती करते हैं। अलकायदा द्वारा वर्ष 2003 में नई भर्ती के लिए इंटरनेट का प्रयोग किया गया था। यह संगठन अपनी वेबसाइट्स पर चेटरूम्स बनाता है जिनमें रजिस्टर्ड होने के बाद आप कुछ दिनों तक अपने विचार रख सकते हैं। आप बार-बार इन चेटरूम्स में जाते हैं तब आपका आईपी एड्रेस नोट कर लिया जाता है तथा आपसे सीधे संपर्क किया जाता है।

अलकायदा की पसंद भारतीय मुस्लिम युवा : अलकायदा के संबंध में यह कहा जा रहा है कि वे ज्यादा से ज्यादा पढे लिखे नौजवानों को अपने साथ जोड़ने में विश्वास रखते हैं तथा इस हेतु वे काफी पैसा भी खर्च करते हैं। अलकायदा को कम्प्यूटर व टेक्नोलॉजी के संबंध में कार्य करने के लिए युवाओं की जरूरत पड़ती है।

संगठन द्वारा भारतीय मुस्लिम युवाओं को इसी कारणों से फाँसा जा रहा है। अलकायदा की लिस्ट में कश्मीर भी है। आतंकी संगठन हवाला,गलत तरीके से व्यक्तियों को दूसरे देशों में भेजने जैसे कामों से भी खूब पैसा बनाते हैं। इस पैसे का उपयोग वे भारतीय युवाओं से दोस्ती में करते हैं तथा पैसे के लालच में युवा इनके साथ काम करने के लिए राजी हो जाते हैं। (नईदुनिया)