आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों की अगुवाई कर रही संजुक्ता पाराशर, इस तरह की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर हैं। असम के सोनितपुर में एसपी संजुक्ता पाराशर का नाम उंटी बोडो आतंकी ऑपरेशन की अगुवाई के लिए सुर्खियों में रहा।
संजुक्ता पाराशर साल 2006 बैच की आईपीएस ऑफिसर हैं, जो एंटी-बोडो मिलिटेंट ऑपरेशंस पर काम कर रही हैं। इस ऑपरेशन के दौरान जून 2015 तक कुछ महीनों में ही पाराशर ने 16 आतंकियों को मार गिराया था और लगभग 64 आतंकियों की गिरफ्तारी भी की। इसके अलावा हथियारों और गोला-बारूद को भी कब्जे में लिया गया।
केवल सोनितपुर ही नहीं, पाराशर ने राज्य के उन सभी क्षेत्रों में आतंकियों को ढेर किया, जहां एनडीएफबी की सक्रियता थी। जून 2015 तक यहां भी कुछ ही महीनों में 11 एनडीएफबी के आतंकी मारे गए, 348 से अधिक कैडर और लिंकमैन को गिरफ्तार किया गया। साल 2013 में 172 और साल 2014 में 175 आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी।
आतंकवाद के खिलाफ भी लड़ सकेंगी महिला सैनिक
वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा आतंकवाद की लड़ाई में महिलाओं से जुड़ा एक बड़ा निर्णय लिया गया, जिसमें महिला सैनिकों को आतंकवाद और उग्रवाद जैसी समस्याओं से लड़ने का रास्ता साफ होता नजर आया। भारतीय सीमा सुरक्षाबल के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले के अनुसार, सेना में शामिल महिलाएं भी उग्रवाद और आतंकवाद को चुनौती दे सकेंगी। उन्होंने कहा, महिला सैनिक भी देश के विभिन्न इलाकों में तैनात की जा सकती हैं।
दूसरी ओर अमेरिकी रक्षामंत्री एश कार्टर द्वारा सेना में लड़ाकू सैनिक के तौर पर काम करने का अवसर महिलाओं को भी दिए जाने की बात कही गई, जो कि एक बड़ा कदम है। एश कार्टर ने कहा कि अमेरिकी सेना देश की प्रतिभा से खुद को अलग नहीं रख सकती।
उन्होंने कहा कि महिलाएं सेना में टैंक चला सकेंगी, मोर्टार से गोले दाग सकेंगीं और लड़ाई में सैनिकों का नेतृत्व भी कर सकेंगी। हालांकि अमेरिकी रक्षामंत्री का यह बयान सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष के उस बयान से एकदम अलग है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मरीन कोर में जंगी भूमिकाओं में महिलाओं को अलग रखा जाना चाहिए।
कुछ स्थानों पर आतंकवाद के बेहतर मुकाबले में महिला भागीदारी
उत्तर पश्चिमी इराक में सिंजर के पहाड़ी क्षेत्रों में कुर्द सेना की महिला ब्रिगेड द्वारा इस्लामिक स्टेट के आतंकियों से लड़ने की खबरें भी इस वर्ष सुर्खियों में रहीं। इस कुर्द सेना में 15 हजार महिला सैनिक हैं, जो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर किसी भी तरह की सशस्त्र कार्रवाई के लिए हर समय तैयार रहती हैं।
इनमें से ज्यादातर महिला सैनिकों की उम्र 18 से 25 साल है। इस्लामिक स्टेट के खिलाफ महिलाओं की भागीदारी के पीछे एक धारणा भी काम करती है। दरअसल, आईएस के लड़ाकों में यह आम धारणा है कि युद्ध में अगर किसी मर्द के हाथों मारे गए तो स्वर्ग में 72 वरजिन मिलेंगी, लेकिन अगर किसी महिला के हाथों मौत हुई तो एक भी वरजिन नसीब नहीं होगी। इसलिए आईएस के लड़ाके कुर्द सेना की महिला सैनिकों से बेहद खौफ खाते हैं। इस नजरिए से आतंकी संगठन आईएस के खिलाफ महिला सैनिकों का खड़ा होना एक महत्वपूर्ण कदम है।
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महिलाओं की भागीदारी न केवल आतंकवाद पैदा करने या उससे लड़ने में दिखाई दी, बल्कि आतंकवाद का सहयोग करना भी इस फेहरिस्त में शामिल था। इसी वर्ष उधमपुर हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकियों के साथ एक महिला भी शामिल थी, जो लश्कर के खुर्शीद अहमद की पत्नी है। दोनों पति-पत्नी की ही मदद से आतंकी आसानी से ट्रक में हथियार लेकर आ सके। और तो और इस दंपति ने ट्रक से आगे चलकर आतंकियों को रास्ते के हर नाके और पुलिस चेकिंग के बारे में जानकारी दी, ताकिे ये आतंकी पुलिस के हत्थे न चढ़ सकें।
इसी कड़ी में आतंकियों को सहयोग करने के मामले में एक और महिला आफ्शा जबीन का नाम सामने आया। दुबई में रहकर इस्लामिक स्टेट के लिए भारतीय युवकों की ऑनलाइन भर्ती का अभियान चलाने वाली हैदराबाद की 37 वर्षीय आफ्शा जबीन उर्फ निकी जोसेफ को पुलिस ने इस वर्ष गिरफ्तार किया और यूएई से भारत प्रत्यर्पित किया।जबीन पर खुद को ब्रिटिश नागरिक बताकर युवकों को बरगलाने का आरोप था। दोनों ने नकली नाम से कई समूह फेसबुक पर बनाए और आईएस से आकर्षण रखने वाले लोगों से संपर्क साधा। इस मामले में अधिकारियों का कहना था कि दोनों ने कथित तौर पर सोशल मीडिया के जरिए तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार और अन्य राज्यों के युवकों को बरगलाया और जिहाद के लिए आईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इस मामले के बाद सीरिया जाने वाले लगभग 25 युवकों की पहचान हुई थी।
आतंकी संगठनों में ये है महिलाओं की स्थिति... अगले पेज पर
महिला आतंकी गुटों को तैयार करता लश्कर-ए-तैयबा
दिसंबर 2015 में सेना के सूत्रों द्वारा जारी इस चौंकाने वाली जानकारी के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा पाक अधिकृत कश्मीर स्थित प्रशिक्षण शिविरों में 21 महिला आतंकवादियों का एक समूह तैयार कर रहा है। इन महिलाओं को विशेष रूप से कश्मीर पर कहर ढाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस बात की पुष्टि हुई कि लश्कर पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में अपने प्रशिक्षिण शिविरों में 21 महिला आतंकवादियों को प्रशिक्षित कर रहा है, ताकि वे भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे सकें। उन्होंने कहा कि नए गुट को दुखतरान-ए-तैयबा नाम दिया गया है और लश्कर की योजना इस गुट को कश्मीर घाटी में सक्रिय करने की है। वहीं कुछ जानकारियों के अनुसार, पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित 42 प्रशिक्षण शिविरों में महिला आतंकवादी के मौजूद होने के बारे में पता चला। सूत्रों के अनुसार, महिला आतंकवादी गुट तैयार करने के पीछे मुंबई आतंकवादी हमलों का सरगना जकीउर रहमान लखवी है।
आईएसआईएस में महिलाओं की भर्ती और उनकी स्थिति
आतंकवाद में महिलाओं की सहभागिता के बीच यूरोपियन मीडिया में यह खबरें आईं कि ब्रिटेन की कई महिलाएं दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए आतंकी हमलों की साजिश रच रही हैं। लंदन के किंग्स कॉलेज के एक्सपर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन में 30 महिलाओं का एक समूह लोगों को आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए उकसाता है। यह महिलाएं अपने आसपास के इलाकों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की बात कहती हैं और अन्य महिलाओं को भी दहशत की इस टोली में शामिल होने के लिए समझाती हैं।
वर्ष के अंत में आई कुछ खबरों के अनुसार, पचास से भी अधिक संख्या में ब्रिटिश महिलाओं के आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया पहुंचने की बातें भी सामने आईं। इनकी उम्र 16 से 24 वर्ष के बीच बताई जा रही थी और इनमें से अधिकांश महिलाएं रक्का की निवासी थीं। ये महिलाएं आईएसआईएस में न केवल जिहादियों की बीवियां बनती हैं, बल्कि इनसे भी बड़ी आतंकी जिम्मेदारियां संभालती हैं।
वहीं मीरा मेराई द्वारा संसद में इस बात की भी जानकारी दी गर्इ कि घर में इस्लामी चरमपंथियों के साथ संघर्षरत ट्यूनीशिया के लगभग 5000 लोग सीरिया, ईराक और लीबिया में इस्लामिक स्टेट और अन्य समूहों में शामिल होने के बारे में सोच रहे हैं। साथ ही यह भी बताया कि जिहादी समूहों में शामिल होने के लिए लगभग 700 ट्यूनिस महिलाएं सीरिया गई हैं।
युवा ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं को जाल में फंसा रहा है आईएस
मई 2015 में आईएस द्वारा ऑस्ट्रेूलिया की युवा महिलाओं को बहलाकर अपने जाल में फंसाने की खबरें भी आईं। इन खबरों के मुताबिक, मेलबर्न स्थित विक्टोरिया के आतंकवादरोधी कार्यबल द्वारा इस बात की जानकारी दी गई कि आतंकवादी गुट आईएस में भर्तियों के लिए महिलाएं नया निशाना हैं। इन महिलाओं को अपने समूह में शामिल करने के लिए मध्य-पूर्वी देशों में शानदार जीवनशैली और सुरक्षा के साथ-साथ शादी का प्रस्ताव देकर लुभाया जा रहा है। इसी दौरान समाचार एजेंसी सिन्हुआ द्वारा इस बात की पुष्टि भी की गई कि पिछले दो महीनों में मध्य-पूर्व में एक दर्जन से अधिक ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं ने आईएस में शामिल होने की कोशिश की। इस मामले में ऑस्ट्रेलिया में सीमा सुरक्षा अधिकारियों ने एक 18 वर्षीय युवती को गिरफ्तार भी किया, जिसे आईएस में भर्ती के लिए सोशल मीडिया के जरिए प्रलोभन दिया गया था।
महिला सैनिक का सिर कलम कर आतंकियों ने फिर फैलाई दहशत
आतंक के खिलाफ उठी महिला आवाज को दबाकर दहशत फैलाने का भी एक मामला इसी वर्ष सामने आया, जब आईएसआईएस के आतंकवादियों ने सीरिया के कोबानी शहर में लड़ाई लड़ने वाली एक कुर्द महिला सैनिक रेहाना का सिर कलम कर दिया। रेहाना ने बड़ी जांबाजी के साथ आईएस के आतंकियों का मुकाबला कर उन्हें मौत के घाट उतारा था और यही कारण था कि वह आईएस के आंख की किरकिरी बनी हुई थी। इस महिला सैनिक ने अपनी सैन्य क्षमता का बेहतरीन परिचय देते हुए इस्लामिक स्टेट के 100 आतंकियों को मौत के घाट उतारा था। इसके बाद से ही रेहाना सोशल मीडिया पर एक बहादुर महिला के रूप में छा गई थी। रेहाना को हाथ में बंदूक लिए सोशल नेटवर्क पर दिखाया गया। कुर्द सेना में महिला सैनिकों की संख्या 30 प्रतिशत है और वह मजबूती के साथ इस्लामिक स्टेट के हमलों से कोबानी शहर का बचाव कर रही हैं। ब्रिटेन के प्रमुख अखबार 'मेल टुडे' ने ये खबर दी थी।
महिला आतंकी ने शादी के बदले रखी सिर कलम करने की ख्वाहिश
इस्लामिक स्टेट की महिला शरिया जज द्वारा आईएसआईएस जवान से शादी करने के बदले में सिर कलम करने की मंजूरी मांगना महिला आतंकवाद के चेहरे को स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। वर्ष 2015 में यह खबर भी सुर्खियों में थी कि आईएस सरगना अबु बक्र अल बगदादी ने शादी के तोहफे के तौर पर महिला आतंकी को सिर कलम करने की छूट दी। आईएसआईएस के चंगुल से छूटी एक सीरियाई महिला ने इस बात का खुलासा किया था कि रोआ उम खोताबा अल-तुनीसी नामक यह महिला ट्यूनीशिया की रहने वाली है और उसके पति की एक हमले में मौत हो गई थी। रोआ की उम्र काफी कम है, इसलिए संगठन चाहता था कि वह दोबारा शादी करे, लेकिन रोआ दूसरी शादी के लिए सिर्फ इसी शर्त पर तैयार थी कि उसे किसी का सिर कलम करने की मंजूरी दी जाए। हालांकि संगठन के नियमों के मुताबिक, वो एक महिला का ही सिर कलम कर सकती थी।