क़द्र रखती न थी मता-ए-दिल,

क़द्र रखती न थी मता-ए-दिल,
सारे आलम को मैं दिखा लाया----मीर तक़ी 'मीर'

क़द्र------क़ीमत, मूल्य
मता-ए-दिल-----दिल की पूँजी, दिल जैसी चीज़,
आलम-----जगत, दुनिया, संसार

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