केरल पर्यटन सैलानियों को करेगा आकर्षित

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इस साल पर्यटन सीजन के दौरान सैलानियों को आकर्षित करने के लिए केरल अपने यहां मौजूद विश्वस्तरीय आयुर्वेद सुविधाओं और पश्चिमी घाट में उपलब्ध जैव विविधता पर बल दे रहा है।

केरल अपने पर्यटन अभियान में विश्व के अग्रणी आठ जैव विविधता वाले क्षेत्रों में शुमार पश्चिमी घाट को प्राथमिकता दे रहा है।

राज्य के पर्यटन मंत्री एपी अनिल कुमार ने कहा, ‘केरल प्राकृतिक रूप से आयुर्वेद के क्षेत्र में आगे है, क्योंकि यहां मौजूद पश्चिमी घाट में समृद्ध परितंत्र है।’ केरल में आयुर्वेद की 900 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी केरल के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें भारी मात्रा में औषधीय गुणों से संपन्न जड़ी-बूटी पाई जाती हैं।

तिरूवनंतपुरम से कुछ ही दूरी पर स्थित अगस्तयकूडम चोटी पर दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। माना जाता है कि यहां अगस्त मुनि निवास करते थे।

पर्यटन विभाग ने एक बयान में कहा कि वह गुणवत्ता आश्वासन नीति के तहत थैरेपी और पुनर्योवन सुविधा प्रदान करने वाली आयुर्वेदिक संस्थाओं को ‘ग्रीन लीफ’ और ‘ओलिव लीफ’ ग्रेडिंग प्रदान कर रहा है। यह संस्थान ‘केरल पर्यटन से मान्यता प्राप्त संस्थान’ की श्रेणी में आएंगे।

पिछले साल केरल में 94 लाख घरेलू सैलानी और आठ विदेशी यात्री आए थे। (भाषा)

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