हर सेकंड तहस-नहस हो रही पृथ्वी, इसे बर्बाद करना बन्द कीजिए : यूएन प्रमुख

UN

सोमवार, 17 जून 2024 (12:40 IST)
पृथ्वी पर क़रीब 40 फ़ीसदी भूमि क्षरण का शिकार है और हर एक क्षण बीतने के साथ कई एकड़ ज़मीन को क्षति पहुंच रही है। इसके मद्देनज़र, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने देशों की सरकारों, व्यवसायों और समुदायों से भूमि क्षरण की रोकथाम और पृथ्वी की रक्षा करने के लिए पुरज़ोर कार्रवाई की पुकार लगाई है।

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने सोमवार 17 जून को 'मरुस्थलीकरण व सूखे से मुक़ाबले के लिए विश्व दिवस' पर जारी अपने सन्देश में यह बात कही है। महासचिव गुटेरेश ने कहा कि हर एक सेकेंड बीतने के साथ, क़रीब चार फ़ुटबॉल मैदानों के आकार की स्वस्थ भूमि क्षरण की चपेट में आ रही है।

अरबों व्यक्तियों की सुरक्षा समृद्धि और स्वास्थ्य फलती-फूलती ज़मीन पर निर्भर है, जो ज़िन्दगियों, आजीविकाओं और पारिस्थितिकी तंत्रों को समर्थन प्रदान करती हैं। मगर हमें पोषित करने वाली पृथ्वी को हम तहस-नहस कर रहे हैं।

मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे को मौजूदा दौर की सबसे गम्भीर पर्यावरणीय चुनौती माना गया है। इस वर्ष विश्व दिवस की थीम है: भूमि के लिए एकजुट. हमारी विरासत. हमारा भविष्य.

इसके ज़रिये, पृथ्वी के सबसे मूल्यवान संसाधन के रूप में भूमि की देखरेख करने पर बल दिया गया है, ताकि दुनिया भर में अरबों व्यक्तियों की स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।

स्वस्थ भूमि, हमें आहार-योग्य 95 फ़ीसदी भोजन प्रदान करती है, मगर उससे कई अन्य लाभ भी हैं। यह लोगों को आश्रय, आजीविका, रोज़गार देती है और समुदायों को सूखे, बाढ़ और वनों में आग से बचाती है।

जैसाकि इस वर्ष विश्व दिवस की विषय वस्तु हमें ध्यान दिलाती है, हमें भूमि के लिए एकजुट होना होगा। सरकारों, व्यवसायों, शिक्षाविदों, समुदायों और अन्य को एक साथ आकर क़दम उठाने होंगे।

हमें पता है कि क्या करना है : यूएन प्रमुख के अनुसार बढ़ती जनसंख्या, उत्पादन व ख़पत के ग़ैर-टिकाऊ तौर-तरीक़ों से प्राकृतिक संसाधनों के लिए मांग बढ़ रही है, जिससे उपजा दबाव भूमि को क्षरण की ओर धकेलता है।

एकजुट समाधानों पर बल : इसके अलावा, मरुस्थलीकरण और सूखे के कारण लाखों लोग प्रवासन के लिए मजबूर हो रहे हैं, और हर वर्ष करोड़ों लोगों पर विस्थापित होने का जोखिम है।

विश्व की आबादी क़रीब आठ अरब है, जिनमें 25 वर्ष से कम आयु वर्ष के एक अरब से अधिक युवजन विकासशील देशों में रह रहे हैं। विशेष रूप से उन क्षेत्रों मे जहां भूमि व प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता है।

महासचिव ने कहा कि ग्रामीण आबादी के लिए रोज़गार के अवसर सृजित करना एक व्यावहारिक समाधान है, जिससे युवजन को उद्यमशीलता का मौक़ा मिलेगा और सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों को बढ़ावा दिया जा सकेगा।

हम जानते हैं कि हमें क्या करना है। यह मरुस्थलीकरण से मुक़ाबले के लिए यूएन सन्धि UNCCD में स्पष्टता से उल्लिखित है। यूएन प्रमुख ने कहा कि इस सन्धि की 30वीं वर्षगाँठ के अवसर पर उसे लागू किए जाने के प्रयासों में तेज़ी से कोशिशों पर बल दिया। आइए, एक साथ मिलकर हम प्रकृति व मानवता के फलते-फूलते भविष्य के लिए बीजारोपण करें।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी