Foreign Minister Subrahmanyam Jaishankar News : भारत के विदेश मंत्री सुब्रहमण्यम जयशंकर ने, 27 सितम्बर (2025) को, यूएन महासभा के 80वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित किया। जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद का मुक़ाबला करना, भारत की एक विशिष्ट प्राथमिकता है क्योंकि यह (आतंकवाद), कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और भय को बढ़ाता है। भारत ने स्वतंत्रता के समय से ही, इस चुनौती का मज़बूती से सामना किया है, एक ऐसे पड़ोसी के रूप में जहाँ आतंकवाद के केन्द्र मौजूद रहा है।
भारत के विदेश मंत्री सुब्रहमण्यम जयशंकर ने कहा है कि आतंकवाद का मुक़ाबला करना, भारत की एक विशिष्ट प्राथमिकता है क्योंकि यह (आतंकवाद), कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और भय को बढ़ाता है। उन्होंने शनिवार को यूएन महासभा के 80वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत अपने लोगों की रक्षा करने और देश-विदेश में उनके हितों की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
आतंकवाद बिल्कुल बर्दाश्त नहीं
सुब्रहमण्यम जयशंकर ने कहा कि हमें अपने अधिकारों के लिए प्रयास करने के साथ-साथ स्वयं के लिए दरपेश ख़तरों का मुक़ाबला मज़बूती से करने के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा, आतंकवाद का मुक़ाबला करना एक विशिष्ट प्राथमिकता है क्योंकि यह (आतंकवाद), कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और भय को बढ़ाता है। भारत ने स्वतंत्रता के समय से ही, इस चुनौती का मज़बूती से सामना किया है, एक ऐसे पड़ोसी के रूप में जहाँ आतंकवाद के केन्द्र मौजूद रहा है।
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि कई दशकों से, बड़े अन्तरराष्ट्रीय आतंकवादी हमलों की जड़ उसी एक देश तक पहुँचती है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित, आतंकवादियों की सूची में उसके नागरिक भरे पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि सीमा पार से बर्बरता का सबसे ताज़ा उदाहरण, इस साल अप्रैल में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या थी। भारत ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपने लोगों की रक्षा करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया और इसके आयोजकों व अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।
उन्होंने आगे कहा, हम अपने लोगों की रक्षा करने और देश-विदेश में उनके हितों की रक्षा करने के लिए दृढ़ हैं। इसका अर्थ है आतंकवाद के प्रति शून्य बर्दाश्त, अपनी सीमाओं की मज़बूत सुरक्षा, सीमाओं से परे साझेदारी बनाना और विदेशों में अपने समुदाय की सहायता करना।
यूएन में व्यापक सुधारों की ज़रूरत
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि यूएन चार्टर ना केवल युद्ध रोकने का, बल्कि शान्ति निर्माण का भी आहवान करता है। यूएन चार्टर ने ना केवल सही की रक्षा करने, बल्कि हर एक व्यक्ति की गरिमा को भी बरक़रार रखने का आहवान भी निहित है। यूएन चार्टर हमें एक अच्छे पड़ोसी होने और अपनी शक्ति को एकजुट करने की चुनौती देता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसी दुनिया मिले जिसमें न्याय, शान्ति और दीर्घकालीन स्वतंत्रता हो।
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में, संयुक्त राष्ट्र एजेंडा का दायरा बहुत व्यापक हो गया है।विकास लक्ष्यों के मुख्य स्थान मिला है, साथ ही जलवायु परिवर्तन एक साझी प्राथमिकता के रूप में उभरी है। एस जयशंकर ने कहा कि व्यापार को और अधिक प्राथमिकता मिली है। भोजन और स्वास्थ्य तक पहुँच को, वैश्विक बेहतरी के लिए अनिवार्य माना गया है।
उन्होंने कहा कि जहाँ तक सुरक्षा की बात है तो संयुक्त राष्ट्र ने शान्तिरक्षा को प्रोत्साहन दिया है और निरस्त्रीकरण पर चर्चा को आगे बढ़ाया है। परिणामस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र, प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक प्राकृतिक मंच बन गया है। भारतीय विदेश मंत्री ने सवालिया अन्दाज़ मे कहा, हमें आज स्वयं से पूछना होगा कि संयुक्त राष्ट्र, इससे अपेक्षाओं पर किस हद तक खरा उतरा है, और विश्व की स्थिति पर एक नज़र डालें।
इस समय दो बड़े युद्ध जारी हैं (एक यूक्रेन में और दूसरा मध्य पूर्व) पश्चिमी एशिया में। अन्य स्थानों पर भी बड़ी संख्या में टकराव और संघर्ष चल रहे हैं, मगर उन पर ख़बर भी नहीं बनती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस समय संकट की स्थिति में है और ऐसे में अधिक अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व इस विश्व संगठन में सुधारों की आवश्यकता है।
भारत की योगदान करने की ज़िम्मेदारी
एस जयशंकर ने वैश्विक दक्षिण के 78 देशों में, भारत के वित्त योगदान के साथ साझेदारी में चल रही 600 से अधिक विकास परियोजनाओं का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अन्य देशों की भी मुसीबत व ज़रूरतों की घड़ी में मदद करने के लिए हाथ बढ़ाया है, चाहे वो वित्तीय मदद हो, खाद्य सहायता, उर्वरक या ईंधन के ज़रिए सहायता हो।
भारतीय विदेश मंत्री ने, इस तरह की मदद के कुछ उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ष 2024 में अफ़ग़ानिस्तान में आए भूकम्प के दौरान भारत ने आपात सहायता उपलब्ध कराई, और हाल ही में म्याँमार में आए भूकम्प में भी मदद मुहैया कराई। इनके अलावा भारत, शान्तिरक्षा में अपने सैनिकों का योगदान करता है जो गोलान पहाड़ियों से लेकर पश्चिमी सहारा और सोमालिया तक के क्षेत्रों में यूएन शान्तिरक्षक के रूप में सेवाएँ देते हैं।
उन्होंने यह भी कहा, सबसे अधिक आबादी वाले देश, एक सभ्य देश और तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हम कौन हैं और क्या होंगे। भारत हमेशा अपनी पसन्द की स्वतंत्रता बनाए रखेगा और हमेशा वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बनेगा।
सबको समान अवसर मिले
भारतीय विदेश मंत्री ने, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रगति को धीमा बताते हुए कहा कि यह एक खेदजनक तस्वीर प्रस्तुत करती है। जलवायु परिवर्तन पर के बारे में उन्होंने कहा कि अगर जलवायु कार्रवाई पर ही सवाल उठाए जाते हैं तो जलवायु न्याय के लिए क्या आशा बचती है।
उन्होंने कहा, हर सदस्य जो इस दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकता है, उसे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का अवसर मिलना चाहिए, और ऐसा करने के लिए, बहुपक्षवाद में सुधार ही एकमात्र रास्ता है। संयुक्त राष्ट्र का नौवाँ दशक नेतृत्व और आशा का होना चाहिए।