ग़ाज़ा में इसराइली बमबारी में बुनियादी ढांचे और इमारतों को विशाल पैमाने पर नुक़सान हुआ है, जिसके पुनर्निर्माण में वर्षों का समय और भारी धन लगेगा।
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य बलों द्वारा बमबारी किए जाने के मामलों में संयुक्त राष्ट्र की जांच दर्शाती है कि युद्ध के नियमों का निरन्तर हनन हुआ है। इस दौरान शक्तिशाली बमों का इस्तेमाल किया गया और लड़ाकों व आम नागरिकों के बीच भेद ना किए जाने के भी आरोप सामने आए हैं।
मानवाधिकार प्रमुख ने ऐसे छह हमलों में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा पड़ताल किए जाने के बाद ये जानकारी साझा की है, जोकि पिछले आठ महीने से जारी युद्ध के दौरान इसराइली सैन्य तौर-तरीक़ों को दर्शाते हैं। इनमें रिहायशी इमारतों, एक स्कूल, शरणार्थी शिविर और बाज़ार में 920 किलोग्राम भार तक के बमों का इस्तेमाल किए जाने की आशंका है।
The use of explosive weapons with wide area effects in densely populated areas of #Gaza raises serious concerns under the laws of war – finds @UNHumanRights report.
इन हथियारों की माप क़रीब 12 फीट आंकी गई और इनके छोटे संस्करण भी 9 अक्टूबर 2 दिसम्बर 2023 तक इस्तेमाल किए गए, जिनमें 218 मौतों की पुष्टि हुई है। हालांकि, मृतकों का वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है।
उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा कि युद्ध के दौरान ऐसे तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल करना, जिनसे आम नागरिकों को पहुंचने वाली क्षति को कम किया जा सके, इसका बमबारी अभियान में निरन्तर उल्लंघन हुआ है।
भीषण बर्बादी : मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट में 11 नवम्बर 2023 को इसराइली सैन्य बलों के एक अपडेट का उल्लेख किया गया है, जिसमें बमबारी शुरू होने के बाद से वायु सेना द्वारा पांच हज़ार से अधिक स्थानों को निशाना बनाने की बात कही गई है, ताकि ख़तरों को मिटा जा सके।
इस समय तक ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार 11 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान जा चुकी थी, 2,700 लापता थे और 27 हज़ार से अधिक घायल हो चुके थे।
रिपोर्ट में ग़ाज़ा पट्टी के अश शुज़ा इलाक़े में हवाई हमलों की जानकारी दी गई है, जिसके अनुसार, 130 मीटर के दायरे में विध्वंस हुआ और 15 इमारतें ध्वस्त हो गई। इमारतों को पहुंची क्षति व ज़मीन में गढ्ढे दर्शाते हैं कि क़रीब नौ, 2,000 पाउंड के जीबीयू-31 बमों का इस्तेमाल किया गया। इनमें कम से कम 60 लोगों की जान गई।
रिपोर्ट के अनुसार 7 अक्टूबर के बाद से ग़ाज़ा में बड़े इलाक़ों को अपनी जद में लेने वाले शक्तिशाली विस्फोटकों का इस्तेमाल घनी आबादी वाले इलाक़ों में किया गया। इस दौरान यह सुनिश्चित नहीं किया जा सका कि आम नागरिकों और लड़ाकों के बीच भेद किया जाए और आम लोगों को निशाना ना बनाया जाए।
कोई राहत नहीं : इस रिपोर्ट में मुख्य रूप से इसराइल पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, मगर इसमें फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों द्वारा इसराइल पर ताबड़तोड़ हवाई हमले करना जारी है। यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार यह अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों के विपरीत है। यूएन कार्यालय प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने इन्हीं चिन्ताओं को दोहराते हुए आगाह किया है कि इसराइली सैन्य कमांडरों द्वारा ग़ाज़ा में अपने तौर-तरीक़ों में ऐसे बदलाव नहीं किए हैं, जिससे आम नागरिकों की रक्षा की जा सके, जबकि युद्ध क़ानूनों के अनुसार ऐसा होना चाहिए था।
उन्होंने इसराइल के उच्चस्तरीय अधिकारियों के बयानों का हवाला दिया, जिनमें एक सैन्य अधिकारी का यह वक्तव्य शामिल है: तुम नर्क चाहते थे, तुम्हें नर्क मिलेगा
रवीना शमदासानी ने इस रिपोर्ट में उल्लिखित हमलों की एक स्वतंत्र जांच कराए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि युद्ध अपराध के सम्भावित मामलों में दोषियों की जवाबदेही तय की जा सके।