संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वास्थ्य और कृत्रिम बुद्धिमता तक, वैज्ञानिक खोज और नवाचार में महिलाओं व लड़कियों की समान भागीदारी, विज्ञान का लाभ सर्वजन तक पहुंचाने का एकमात्र उपाय है।
Women make up only 1/3 of the global scientific community - obtaining less funding & fewer career opportunities.
Women & girls belong in science.
It is time to recognize that inclusion fosters innovation, and to support every woman & girl fulfil her potential. pic.twitter.com/KLSFU0MCCS
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने रविवार, 11 फ़रवरी, को विज्ञान में महिलाओं व लड़कियों के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर जारी अपने सन्देश मे यह बात कही है।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि विज्ञान में लैंगिक समानता, सर्वजन के लिए एक बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण है। “दुर्भाग्यवश, महिलाओं व लड़कियों को अब भी ऐसे व्यवस्थागत अवरोधों और पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ रहा है, जो उन्हें विज्ञान में अपना करियर बनाने से रोकते हैं”
महासचिव गुटेरेश ने क्षोभ व्यक्त किया कि इन वजहों से दुनिया को महान प्रतिभाओं से वंचित होना पड़ता है।
एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में महिलाओं की भागीदारी क़रीब एक-तिहाई है, उन्हें अपने शोध के लिए कम धनराशि मिलती है।
इसके अलावा, उनके पास प्रकाशन के अवसर भी कम होते हैं और शीर्ष विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ पदों पर उनकी संख्या, पुरुष सहकर्मियों की तुलना में कम है। कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के क्षेत्र में हर पांच में से केवल एक पेशेवर ही महिला है। इंजीनियरिंग स्नातकों में महिलाओं का हिस्सा 28 प्रतिशत और कम्पयूटर साइंस व इन्फ़ोरमेटिक्स में 40 प्रतिशत है।
यूएन प्रमुख ने बताया कि कुछ स्थानों पर महिलाओं व लड़कियों के लिए शिक्षा के अवसर या तो सीमित हैं, या फिर बिलकुल भी उपलब्ध नहीं हैं। उनके अनुसार, यह ऐसे समाजों के लिए स्वयं को नुक़सान पहुंचाने वाले स्थिति है और मानवाधिकारों का एक भयावह उल्लंघन भी।
एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि वैज्ञानिक क्षेत्र में महिलाओं की समान भागीदारी के ज़रिये जलवायु परिवर्तन से लेकर कृत्रिम बुद्धिमता तक, अनेकानेक वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है और विज्ञान का लाभ हर किसी तक पहुँचाया जा सकता है।
समान भागीदारी को प्रोत्साहन : उन्होंने विज्ञान जगत में मौजूदा लैंगिक खाई को दूर करने के लिए लैंगिक रूढ़िवादिताओं को ध्वस्त करने और ऐसे मानकों को बढ़ावा देने की पैरवी की है, जिनसे लड़कियों को विज्ञान में अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहन मिले। साथ ही, महिलाओं को विज्ञान में आगे बढ़ाने के लिए कार्यक्रम विकसित किए जाने होंगे और उनकी प्रतिभाओं को पोषित करने वाले माहौल को बेहतर बनाना होगा।
यूएन प्रमुख ने कहा कि महिलाओं व लड़कियों की विज्ञान में अहम भूमिका है, और यह समझना होगा कि समावेशन से नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है। इससे, हर महिला व लड़की के लिए स्वंय में निहित सम्भावनाओं को साकार करने का अवसर प्राप्त होगा।
यूएन महासभा ने 20 दिसम्बर 2013 को, विकास के लिए विज्ञान, टैक्नॉलॉजी व नवाचार पर एक प्रस्ताव पारित करते हुए रेखांकित किया था कि इन क्षेत्रों में महिलाओं व लड़कियों की भागीदारी, लैंगिक समानता व उनके सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण है।